अशोकनगर।एमपी की अशोकनगर विधानसभा सीट को बीजेपी का मजबूत किला माना जाता है, बीते 33 वर्षों में यहां एक बार बसपा का विधायक बना और डेढ़ साल कांग्रेस ने कमान सम्भाली, लेकिन आज भी सीट पर बीजेपी का विधायक काबिज है. अशोकनगर सीट उन विधानसभाओं में शामिल हैं, जिनके विधायक सिंधिया कांग्रेस क्राइसिस का हिस्सा रहे थे, लेकिन जनता का भारतीय सिंधिया और उनके सार्थक पर रहा. यही वजह से जजपाल सिंह जज्जी आज भी अपने क्षेत्र में विधायक बने हुए हैं. अशोकनगर विधानसभा से एक मिथक भी जुड़ा हुआ है, माना जाता है कि जो भी सीएम चुनाव के दौरान यहाँ आया उसे सत्ता गवानी पड़ी है, यही वजह है कि आज तक चुनाव में प्रचार के लिए मुखिया शिवराज सिंह चौहान तक ने कदम नहीं रखा. लेकिन अब 2023 में विधानसभा के चुनाव होंगे तो जनता तय करेगी कि, इस बार उनका समर्थन बीजेपी को मिलेगा या कांग्रेस का इंतजार खत्म होगा.
अशोकनगर विधानसभा क्षेत्र की खासियत:पर्यटन संपदा, धार्मिक महत्व रखता है यह विधानसभा क्षेत्र, यहां करीला माता मंदिर है जो भगवान राम और सीता माता के पुत्र लव और कुश की जन्मस्थली है. वहीं माता विंध्यवासिनी मंदिर तुमैन में स्थित है, यह अति प्राचीन स्थली और यहां प्राचीन प्रशंसिका और विशेष मिलते रहते हैं. इसके साथ-साथ यह क्षेत्र सिंध नदी के पास है, जिसकी वजह से खनिज संपदा (रेत) से भी संपन्न है. अशोकनगर अपनी अनाज मंडी और गेहूं की एक फसल शरबती गेहूं के लिए प्रसिद्ध है.
अशोकनगर विधानसभा क्षेत्र के मतदाता:अशोकनगर यानि मध्यप्रदेश विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं की बात करें तो इस विधानसभा क्षेत्र में (1.1.2023 के अनुसार) कुल 2 लाख 10 हजार 002 मतदाता हैं, जिनमें से पुरुष मतदाताओं की संख्या 1,09,813 और महिला मतदाता 1,00,182 हैं. इसके अलावा ट्रांसजेंडर मतदाताओं की संख्या 7 हैं, जो विधानसभा चुनाव में मतदान करेंगे.
अशोकनगर क्षेत्र के राजनीतिक समीकरण:अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित अशोक नगर विधानसभा सीट पर हमेशा से बीजेपी का दबदबा रहा है. वर्षों तक तो कांग्रेस ने इस सीट पर न तक नहीं डाल पायी, लेकिन इस सीट की जनता ज्योतिरादित्य सिंधिया से जुड़ाव रखती है. यही वजह है जहां कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए सिंधिया अपने साथ 22 विधायक ले गये थे, जिनमें अशोकनगर विधायक जजपाल सिंह भी शामिल थे. हालांकि सिंधिया की अपील पर लोगों ने जजपाल सिंह पर भरोसा जताया था, इस वजह से आज भी यहां बीजेपी का ही दबदबा नजर आता है.
हालांकि इस बार चुनाव के लिए बीजेपी और कांग्रेस के दावेदार टिकट पाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाने में डटे हुए हैं. सिंधिया समर्थक विधायक जजपाल सिंह जज्जी के साथ-साथ जहां अशोकनगर के पूर्व विधायक लड्डूराम कोरी, भाजपा नेता हरि बाबू राय भी विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी टिकट चाहते हैं, वहीं कांग्रेस में भी इसी चुनाव की दावेदारी करने वाले प्रत्याशियों में आशा दोहरे, अमित तामरे, त्रिलोक अहिरवार, रमेश इटौरिया समेत लाइन में कई नाम शामिल हैं. चूंकि यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है, ऐसे में यहां एससी वोटरों की कमी नहीं है. लेकिन जनता के मूड का भी भरोसा नहीं है, इस बार मैदान में उतरने वाले प्रत्याशियों के नाम फाइनल होने पर पलड़ा किस और झुकेगा ये तभी पता चलेगा.