अशोकनगर। प्रदेश की 28 सीटों में 3 नवंबर को उपचुनाव होने वाले हैं. इनमें अशोकनगर और मुंगावली दो विधानसभा सीटें भी शामिल हैं. इस समय इन दोनों क्षेत्रों में तमाम राजनीतिक दलों के शीर्ष नेताओं की चुनावी सभाएं जारी हैं. जिनमें क्षेत्र की जनता से कई वादे और दावे किए जा रहे हैं. ऐसे में लोगों के मन की बात जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम अशोकनगर विधानसभा पहुंची और लोगों से बात की.
बिकाऊ-टिकाऊ का मुद्दा गरमाया
लोगों से बातचीत के दौरान यहां सामने आया कि अशोकनगर विधानसभा में 'टिकाऊ और बिकाऊ' का मुद्दा जोर पकड़ता दिखाई दे रहा है. लोग इस बात को लेकर नाराज हैं कि जिस प्रतिनिधि को उन्होंने 5 साल के लिए चुना था, उसने उनके साथ विश्वासघात किया. लोगों का कहना है कि क्षेत्र में कई समस्याएं हैं. सड़क, बिजली, पानी और स्वास्थ्य सेवाओं की हालत खराब हैं. हालात ये हैं कि गर्भवती महिलाओं को पैदल चलकर अस्पताल जाना पड़ रहा है. वर्तमान में कोरोना महामारी फैली हुई है और जनप्रतिनिधियों ने उन पर उपचुनाव थोप दिया. मतदाताओं का कहना है कि कोई भी नेता क्षेत्र की विकास की बात नहीं करता, जनप्रतिनिधि अपना हित साधने में लगे हुए हैं. लोगों का कहना है कि इस बार उपचुनाव में रोजगार, स्वास्थ्य और विकास के मुद्दों को लेकर ही वोट दिया जाएगा.
बीजेपी के दबदबे वाली सीट
अशोकनगर सीट 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के खाते में आई थी लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ अशोकनगर विधायक जजपाल सिंह जज्जी ने भी कांग्रेस का हाथ छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया था. जिसके कारण अब इस सीट पर उपचुनाव होने हैं. बीजेपी की तरफ से जजपाल सिंह जज्जी मैदान में हैं तो कांग्रेस ने आशा दोहरे पर दांव लगाया है. अशोकनगर सीट के इतिहास को देखें तो यहां बीजेपी का दबदबा रहा है और कांग्रेस 33 साल बाद 2018 के चुनाव में सीट पर जीत दर्ज कर पाई थी.
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जातिगत समीकरण
जातिगत आंकड़ों के लिहाज से अशोकनगर विधानसभा सीट को अगर देखा जाए तो यहां पर अनुसूचित जाति वर्ग, यादव और रघुवंशी मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते आए हैं. एक अनुमान के मुताबिक अशोकनगर विधानसभा में करीब 38 हजार अनूसुचित जाति वर्ग के मतदाता, करीब 28 हजार यादव मतदाता, 25 हजार रघुवंशी मतदाता हैं. इसके अलावा करीब 14 हजार ब्राह्मण, 10 हजार जैन, 12 हजार मुस्लिम, 14 हजार कुशवाह सहित अन्य जातियों के मतदाता भी हैं.
ये पहला उपचुनाव
साल 2018 के विधानसभा चुनावों में अशोकनगर सीट से कांग्रेस प्रत्याशी रहे जजपाल सिंह जज्जी ने जीत दर्ज की थी. तब कांग्रेस के जजपाल जज्जी ने बीजेपी उम्मीदवार लड्डूराम कोरी को 9 हजार 730 वोटों से शिकस्त दी थी. लेकिन उपचुनाव में परिस्थितियां और समीकरण कुछ अलग हैं और इसकी एक वजह ज्योतिरादित्य सिंधिया और जजपाल सिंह जज्जी का कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी में शामिल होना भी है. अशोकनगर सीट पर होने वाला ये पहला उपचुनाव है.
सियासी इतिहास
- 1957 में पहली बार रामदयाल सिंह इंडियन नेशनल कांग्रेस से यहां से चुनाव जीते.
- 1962 में रामदयाल सिंह इंडियन नेशनल कांग्रेस से चुनाव जीते.
- 1967 में मुलतानमल स्वतंत्र पार्टी ने 21 हजार 778 वोटों से जीत दर्ज की.
- 1972 में महेन्द्र सिंह प्रत्याशी भारतीय जनसंघ 8462 वोटों से चुनाव जीते.
- 1977 में चिमनलाल गुजारीलाल जनता पार्टी 1837 वोटों से चुनाव जीते.
- 1980 में महेन्द्र सिंह प्रत्याशी इंडियन नेशनल कांग्रेस (I) से चुनाव जीते.
- 1985 में रविन्द्र सिंह प्रत्याशी इंडियन नेशनल कांग्रेस 1872 वोटों से चुनाव जीते.
- 1990 में नीलम सिंह यादव प्रत्याशी बीजेपी 17644 वोटों से चुनाव जीते.
- 1993 में नीलम सिंह यादव प्रत्याशी बीजेपी 3131 वोटों से चुनाव जीते.
- 1998 में बलवीर सिंह कुशवाहा प्रत्याशी बहुजन समाज पार्टी 12544 वोटों से चुनाव जीते.
- 2003 में जगन्नाथ सिंह रघुवंशी प्रत्याशी बीजेपी 14855 वोटों से चुनाव जीते.
- 2008 में इंजीनियर लड्डूराम कोरी प्रत्याशी बीजेपी 21019 वोटों से चुनाव जीते.
- 2013 में गोपीलाल जाटव प्रत्याशी बीजेपी 3348 वोटों से चुनाव जीते.
- 2018 में जजपाल सिंह जज्जी प्रत्याशी कांग्रेस 9730 वोटों से चुनाव जीते.