अनूपपुर। पुलिस ने अब सूदखोरों के खिलाफ पेंडिंग पड़े केस को खोलना शुरू कर दिया है. हालांकि, अब देखना ये होगा कि पुलिस की कार्रवाई लोगों के लिए कितनी कारगर साबित होती है. सूदखोर खून पसीने की कमाई एक ही पल में चट कर जाते थे. यहां सूदखोरों के चंगुल में जो व्यक्ति फस गया, वो कंगाल होकर ही रहता है. ताजा मामला कोयलांचल थाना भालूमाडा का है.
शिकंजा: सूदखोरी के मकड़जाल में जो फंसा वो गले में फंदा कसा!
जिले में अपराध और ठगी के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. ताजा मामले में एक पूर्व कर्मचारी के साथ एक सूदखोर ने लाखों की ठगी को अंजाम दिया. फिलहाल, शिकायत के एक साल बाद पुलिस ने मामले पर कार्रवाई करना शुरू कर दिया है.
पहले से सक्रिय हैं सूदखोर
दरअसल, सूदखोरों का गढ़ कोयलांचल ही माना जाता है. यहां पहले भी कई शिकायतें पुलिस के पास पहुंची कुछ में कार्रवाई हुई तो कुछ मामला रफा-दफा हो गए. हालांकि, फरियादी द्वारा 2020 में दर्ज की गई शिकायतों पर 2021 में पुलिस ने मामला दर्ज कर आगे की कार्रवाई जारी की है, दरअसल, पुलिस कप्तान ने संबंधित थानों को सख्त निर्देश दिए थे कि सूदखोरों के शिकायत मिलने पर कड़ी कार्रवाई करें, लेकिन पूर्व में जितने भी सूदखोरों के खिलाफ शिकायतें हुई थी, उनमें 1-2 मामलों को छोड़ बाकी मामलों में आज-तक उन शिकायतों पर किसी प्रकार से कोई कार्रवाई नहीं हो सकी थी.
यह है मामला
कोयलांचल थाना भालूमाडा अंतर्गत 27,6,2020 को कदम टोला भालूमाडा निवासी घिसनू बैगा कोल कर्मचारी ने शिकायत दर्ज कराई थी. रिटायरमेंट के दौरान मिलने वाली राशिक पैसा बैगा के कोतमा कालरी में संचालित खाते पर आया, इन पैसों पर सूदखोर और बैंक में कर्मचारी के रूप में काम कर रहे काशी घसीया की निगाह पड़ गई, अनपढ़ घिसनू बैगा का फायदा उठाते हुए काशी घसीया ने चेक बुक जारी करा कर 900000 रुपए निकाल लिए. इसके अलावा पर्ची में हस्ताक्षर कराकर कई बार पैसे निकाले. जब पैसे निकलने की जानकारी घिसनू बैगा को चली तो उसने इसकी शिकायत संबंधित थाने में दी.
कौन है काशी घसीया
काशी घसीया ने अपनी सूदखोरी चलाने के लिए स्टेट बैंक में चपरासी की नौकरी कर ली थी, इसके बाद सूदखोरी का मकड़जाल इसने यहीं बैठे-बैठे फैलाना चालू किया. भोले-भाले आदिवासी लोगों को अपने सूदखोरी के चंगुल में फसाकर ब्याज वसूली का काम करता रहा, बताया गया कि अनपढ़ लोगों का फायदा उठाते हुए काशी घसीया ब्याज में पैसे देकर पैसा निकासी पर्ची में हस्ताक्षर कराने के साथ चेक भी जारी करा लेता था, और साइन करा कर पैसे निकालने का काम करता रहा. हालांकि, बैंक ने मामले की जानकारी होने पर इसे नौकरी से निकाल दिया है, इसके बावजूद भी काशी घसिया को बैंक के करीब कैंटीन व गन्ने के दुकान में बैठकर चुस्की लेते देखा जा सकता है. यहीं से अपना सूदखोरी का व्यापार अभी भी जारी कर रखा है, हालांकि, थाने में शिकायत होने पर पुलिस ने इसे किन कारणों से छोड़ दिया इसका पता अभी नहीं चल सका.
झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार! लाइसेंस नहीं दिखाने पर क्लीनिक सील
सब कुछ हो गया बर्बाद
शिकायतकर्ता ने बताया कि उसने काशी घसिया से 1 लाख रुपए उधार लिए थे. जिसे कुछ समय बाद ब्याज समेत लौटा दिया था, घिसनू बैगा ने बताया कि मेरी शिकायत पर तीन से चार बार मुझे थाने बयान के लिए बुलाया गया. इसके बाद क्या हुआ आगे मैं नहीं जानता मुझे आज भी उम्मीद है कि मेरे साथ न्याय होगा लेकिन कब न्याय होगा भगवान जाने. कार्रवाई ना होने पर पीड़ित ने अपनी समस्या पत्रकार को सुनाई पत्रकार ने जब थाने पर शिकायत के बारे में जानकारी मांगी तो पुलिस ने पहले तो गोलमोल जवाब दिया. इसके बाद आनन-फानन में पुलिस ने 8,4,2021 को काशी घसिया के खिलाफ धारा 384, 385,3/4 कर्जा एक्ट के तहत कार्रवाई की है. हालांकि, अब देखना ये होगा की घिसनू बैगा को न्याय कब मिलता है.