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400 साल पुरानी है बघेल राजवंश की कोठी, 16 पीढ़ियों को देख चुकी है ऐतिहासिक हवेली - हवेली

अनूपपुर के कोतमा में कोठी गांव में बघेल परिवार की 400 साल पुरानी कोठी है. बताया जाता है कि रीवा से निकलकर बघेल राजवंश के कुछ सदस्य कोठी आकर बसे थे तभी से यहां बघेल परिवार निवास करता है. इस कोठी में बघेल परिवार की 16 पीढ़ियां रही है.

There is a 400-year-old mansion of the Baghel royal family in the Kothi of Anuppur.
400 साल पुरानी है बघेल राजवंश की कोठी

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Published : Jun 15, 2021, 9:53 PM IST

अनूपपुर। जिले के कोतमा पंचायत में आने वाले कोठी गांव का अपना एक इतिहास है. कोठी गांव में बनी कोठी (हवेली) में बघेल राजाओं का इतिहास मिलता है. बताया जाता है कि ये कोठी (हवेली) 400 साल पुरानी है और आज भी शान से खड़ी है. यहां रहने वाले आनंद बघेल बताते हैं कि ये उनके पुरखों की हवेली है. यहां उनकी 16 पीढ़ियों ने निवास किया है.

400 साल पुरानी है बघेल राजवंश की कोठी

गुजरात से एमपी आए थे पूर्वज

कोठी में रहने वाले आनंद सिंह बघेल बताते हैं कि उनके पूर्वज गुजरात से आए थे. गुजरात में बघेल राजाओं को चालोक्य राजाओं के नाम से जाना जाता था. जब ये राजा मध्य प्रदेश आए तो यहां बघेल राजा (Baghel Royal Family) कहलाए. आनंद बताते हैं कि करीब 400 साल पहले उनके पूर्वज रीवा से कोठी (Kothi) आए थे. उनकी इस कोठी (हवेली) के नाम पर ही गांव का नाम भी कोठी पड़ा.

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400 साल पुरानी कोठी में रही 16 पीढ़ियां

कोठी के बारे में बताते हुए आनंद कहते हैं कि इस कोठी में उनकी 16 पीढ़ियों ने जीवन बिताया है. आज भी उनका परिवार इसी हवेली (Mansion) में रहता है. ये हवेली 3 से साढ़े 3 एकड़ में फैली हुई है. आनंद बताते हैं कि 400 साल बीत जाने के बाद भी उनकी ये हवेली आज भी अच्छी हालत में है. हालांकि कुछ कमरे देखरेख के अभाव में जर्जर हो गए हैं लेकिन हवेली का मुख्य हिस्सा आज भी अच्छी स्थिति में है. इसके अलावा कोठी के अंदर बने कुएं के अंदर पुरातत्व महत्व की मूर्तियां लगी हुई है.

आज भी कोठी में रहता है बघेल परिवार

बघेल परिवार के इतिहास के बारे में बताते हुए आनंद बघेल ने कहा कि उनके परिवार को यहां इलाकेदार कहा जाता था, उनकी कोठी 150 गांवों का केन्द्र होती थी. 400 साल पहले इलाकेदार ठाकुर विष्णु कुमार सिंह ने इस कोठी (Mansion) को बनवाया था. इसके बाद शिव कुमार सिंह तथा चंद्र कुमार सिंह यहां के इलाकेदार हुए. आनंद बताते हैं कि सूर्य कुमार सिंह यहां के अंतिम इलाकेदार रहे, उसके बाद स्वतंत्रता के समय 1947 में राजशाही व्यवस्था समाप्त हो गई.

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