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MP High Court अनूपपुर जिले की बिजुरी नगर परिषद में करोड़ों के भ्रष्टाचार मामले में अंतिम रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश - अनूपपुर जिले की बिजुरी नगर परिषद

अनूपपुर जिले की आदिवासी बाहुल्य बिजुरी नगर परिषद में करोड़ों का भ्रष्टाचार होने के बावजूद दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं किये जाने के मामले में हाईकोर्ट में सरकार की तरफ से विभागीय जांच की अंतिम रिपोर्ट पेश की गई. इसमें बताया गया कि 11 दोषियों को दंडित करते हुए रिकवरी के आदेश जारी कर दिये गये हैं. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा ने कार्रवाई की स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के आदेश जारी करते हुए अगली सुनवाई जनवरी माह के प्रथम सप्ताह में निर्धारित की है.

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बिजुरी नगर परिषद में करोड़ों के भ्रष्टाचार मामले में अंतिम रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश

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Published : Nov 16, 2022, 8:14 PM IST

जबलपुर। बिजुरी निवासी राजेश द्विवेदी की तरफ से दायर जनहित याचिका में कहा गया था कि बिजुरी नगर परिषद अविकसित है और बहुसंख्यक आबादी आदिवासी है. नगर परिषद बिजुरी द्वारा एवं अन्य अधिकारियों के संरक्षण में 50 करोड़ रुपये से अधिक का भ्रष्टाचार होने संबंधित खबर अखबार में प्रकाशित हुई थी. ऑडिट रिपोर्ट्स में भी नगर परिषद बिजुरी द्वारा बड़े भ्रटाचार को उजागर किया गया था. व्याप्त भ्रष्टाचार और आदिवासियों के डेवलपमेंट के लिए दिए गए पैसें के दुरुपयोग के संबंध में संचालक शहरी प्रशासन और विकास निदेशालय भोपाल मप्र तथा सह संचालक शहरी प्रशासन और विकास निदेशालय शहडोल एवं आर्थिक अपराध शाखा भोपाल को जाँच करने पत्र लिखे गये.

कुल 26 लोगों को दोषी पाया गया था :इस पर जांच के आदेश हुए और भ्रष्टाचारी होने के संबंध में जांच प्रतिवेतन भी प्रस्तुत किये गये. इसके बावजूद भी दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गयी. याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को बताया गया था कि जांच में कुल 26 व्यक्तियों को दोषी पाये गये हैं. इसमें 18 विभागीय व्यक्तियों के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश जारी कर दिये हैं. याचिका की सुनवाई के दौरान युगलपीठ को बताया गया कि तत्कानील सीएमओ मीना कोरी के खिलाफ दो वेतन वृध्दि रोकने तथा 19 लाख रूपये की रिकवरी की कार्रवाई की गयी है. सब इंजीनिजन वंदना अवस्थी के खिलाफ दो वेतन वृध्दि रोकने तथा 27 लाख 68 हजार रुपये की रिकवरी, कमल कोल के खिलाफ कमला कौल के खिलाफ दो वेतन वृध्दि रोकने तथा 12 लाख 24 हजार रूपये की रिकवरी की कार्रवाई की गी है. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता धीरज कुमार तिवारी ने पक्ष रखा.

अंतरजातीय विवाह मामले में फैसला सुरक्षित :मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में अंतरजातीय विवाह करने पर धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के तहत कार्रवाई नहीं किए जाने की मांग संबंधी अंतरिम आवेदन पर सुनवाई पूरी हो गई है. जस्टिस सुजय पॉल व जस्टिस पीसी गुप्ता की खंडपीठ ने सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है. एलएस हरदेनिया व आजम खान सहित आठ लोगों की ओर से मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की गईं. मुख्य रूप से इन याचिकाओं में मध्य प्रदेश शासन द्वारा लागू किए गए धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है. अंतरिम आवेदनों पर वरिष्ठ अधिवक्ता मनोज शर्मा व हिमांशु मिश्रा सहित अन्य की ओर से दलील दी गई कि यदि धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के दायरे से अंतरजातीय विवाह के बिंदु को पृथक नहीं किया गया तो व्यक्तिगत स्वतंत्रता को लेकर संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकार का हनन होगा.

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थाने से जमानत देने पर हाई कोर्ट सख्त :कटनी जिले के कोतवाली थाने से एक गैर जमानती मामले में आरोपी को थाने से जमानत दिये जाने के मामले को हाईकोर्ट ने काफी सख्ती से लिया है. जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने मामले में डीजीपी से हलफनामे में जवाब पेश करने के निर्देश दिये है कि आखिर गैर जमानती मामले में थाने से अभियुक्त को कैसे जमानत दे दी गई. प्रकरण के अनुसार आरोपी राजकुमार निषाद को कटनी की कोतवाली पुलिस ने 14 मार्च 2022 को कच्ची शराब के साथ गिरफ्तार करते हुए उसके खिलाफ आबकारी अधिनियम के तहत कार्रवाई की थी और उसी दिन उसे जमानत पर थाने से रिहा कर दिया गया. इसके बाद 2 नवंबर 2022 को पुलिस द्धारा विवेचना पूर्ण कर न्यायालय के समक्ष चालान पेश किया गया, जहां से अभियुक्त को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया. जिस पर आरोपी की ओर से हाईकोर्ट में यह जमानत अर्जी पेश की गई थी. आरोपी की ओर से मामले में अधिवक्ता सोमनाथ कोरी पैरवी कर रहे हैं.

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