अनूपपुर।जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर ग्राम पचरीपानी चारों तरफ से घने जंगल व पहाड़ों के बीच बसा है. गांव में उल्टी- दस्त से लोग प्रभावित हैं. आलम यह है कि बीमार लोगों को जिला अस्पताल लाने के लिए एंबुलेंस को बड़ी मशक्कत के बाद गांव के पास तक पहुंचना पड़ता है. घने वन क्षेत्र के बीच बसे इस गांव में 18 घर भूमिया, बैगा एवं 3 घर गोड़ समाज के हैं, जिसमें लगभग 100 लोग रहते हैं. जिन्हें 5 दशक बाद भी आवागमन हेतु पहुंच मार्ग एवं बिजली सुविधा नहीं मिल पाई है.
पैदल चलना संभव नहीं :इस गांव में बैगा समाज के चार आवास बने हैं. गांव में वर्ष 1997 से प्राथमिक विद्यालय संचालित है. पेयजल व्यवस्था हेतु गांव में तीन हैंडपंप चालू स्थिति में है, जिसका उपयोग ग्रामीण करते हैं. आवागमन की सुविधा ना होने वर्षा काल में पैदल तक चल पाना संभव ना होने के कारण गांव के 10-12 बच्चे जो माध्यमिक विद्यालय लखनपुर में अध्ययनरत हैं, नहीं पहुंच पाते हैं.
लालटेन की रोशनी में गुजरती है रात :बिजली न होने के कारण आदिवासी समाज के लोगों को बेहद कठिनाई के बीच रहन सहन करना पड़ रहा है. बच्चों को पढ़ाई के लिए बिजली नहीं मिल पाती. लालटेन का सहारा लेना पड़ता है. पीने के लिए एवं सार्वजनिक अवसरों के लिए कई बार यहां समस्या बनती है, लेकिन अभाव के बीच रहकर सारी दिक्कतों का सामना करते हुए यहां रहने वाले ग्रामीण जीवनयापन कर रहे हैं.