अनूपपुर| माता-पिता अपने बच्चों को स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने के लिए भेजते हैं. लेकिन अनूपपुर जिले के ग्राम पंचायत डोला के शासकीय हाईस्कूल का आलम कुछ और ही है. यहां बच्चे प्रतिदिन स्कूल में फर्श में झाड़ू-पोछा लगाते नजर आते हैं. कक्षाएं जुलाई से संचालित हो रही हैं. वहीं बच्चे भी अपनी बैठने की व्यवस्था बनाने के लिए स्वयं ही साफ सफाई करने को मजबूर हैं. प्रदेशभर में शिक्षा को लेकर सरकार द्वारा लाखों करोड़ों रुपए का बजट हर सत्र में तैयार किया जाता है, फिर भी मध्यप्रदेश के अंतिम छोर पर बसे अनूपपुर में 2 साल से बच्चों से फर्श में साफ-सफाई का काम कराया जाता है.
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बच्चे प्रतिदिन स्कूल में फर्श में झाड़ू-पोछा लगाते नजर आते हैं. कक्षाएं जुलाई से संचालित हो रही हैं. वहीं बच्चे भी अपनी बैठने की व्यवस्था बनाने के लिए स्वयं ही साफ सफाई करने को मजबूर हैं.
डोला हाई स्कूल में 2 साल से स्वीपर की भर्ती नहीं की गई. जिस कारण से स्कूल में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को ही अपने क्लासरूम, लैब और स्कूल में साफ-सफाई करना पड़ता है. छात्रों का कहना है कि मैडम के द्वारा सफाई के लिए बोला जाता है. हाई स्कूल में पढ़ रहे छात्र-छात्राओं के परिजन इस बात से अनजान हैं कि बच्चे स्कूल जा कर शिक्षा नहीं सफाई की कक्षाएं ले रहे हैं.
इस विषय पर जब बड़े अधिकारियों से बात करनी चाही तो उन्होंने इस विषय पर बात करने से मना कर दिया. इससे ये स्पष्ट होता है कि छात्रों की भविष्य की चिंता न आला अधिकारियों को है न वहां पदस्थ शिक्षकों को.