अनूपपुर। प्रदेश सरकार शिक्षा विभाग को लेकर आये दिन बड़े-बड़े दावे करती है, शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार द्वारा करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाया जाता है, जिससे प्रदेश में निवास करने वाले गरीबों के बच्चे सरकारी विद्यालयों में ही पढ़कर निजी विद्यालयों की तरह शिक्षा ग्रहण कर सके लेकिन जिले के ऐसे कई विद्यालय है, जहां शिक्षकों की मनमानी के चलते ऐसे नौनिहालों का भविष्य अंधकार में है.
शिक्षकों की मनमर्जी
दरअसल, मामला अनूपपुर ब्लॉक के शासकीय प्राथमिक विद्यालय पोंड़ी-चोंड़ी का है, जहां शिक्षक विद्यालय समयानुसार आने की बजाए अपनी मनमर्जी से आते हैं. शिक्षकों की ऐसा डर कि बच्चे शिक्षकों के आने के पूर्व विद्यालय पहुंचकर झाड़ू लगाकर साफ-सफाई करते हैं. अब सबाल यह है कि, सरकार द्वारा बच्चों के लिए मुफ्त किताबें, ड्रेस, जूते-मोजे, स्वेटर और मध्यान्ह भोजन बच्चों को उपलब्ध कराया जाता है तो इन नन्हें हाथों में झाड़ू किसने थमाई.
दुर्दशा देख अभिभावक परेशान
विद्यालय शासन के मानक के अनुरूप नहीं बल्कि शिक्षकों के अनुरूप संचालित है वहीं, इन हालातों को देखते हुए जब गांव के ग्रामीणों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि, शिक्षकों का आवागमन मनमाने समय से होता है, जबकि बच्चे स्कूल खुलने के पहले ही स्कूल परिसर में पहुंचकर विद्यालय खुलने का इंतजार करते रहते हैं. इस कारण बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं मिल पाती. ग्रामीणों का कहना है कि, मजबूरन हम लोगों को अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाने के लिए सोचना पड़ता है, पर गरीब वर्ग के लोगों के पास इतने पैसे नहीं हैं जिससे अपने बच्चो को अच्छी शिक्षा दिलवा सके और शासकीय विद्यालय की स्थिति किसी से छुपी नहीं है. ग्रामीण कहते है कि, और जब हम ग्रामीणों द्वारा इस बात का विरोध किया जाता है तो हमारी बात में कोई ध्यान नहीं देता.