सतना। कोटर के पवाइया गांव में बिना प्रदूषण विभाग की एनओसी के शिव शक्ति एग्रोटेक चावल मिल संचालित हो रही है. मिल संचालक अफसरों की मिलीभगत से बिना पिछले चार सालों से बिना किसी अनुमति के चला रहा है. उसके खिलाफ कार्रवाई करने की बजाय प्रशासन नतमस्तक नजर आ रहा है.
बिना एनओसी के चल रही राइस मिल शिकायत होने के बाद भी प्रदूषण विभाग और विद्युत विभाग के अधिकारी कोई ठोस कार्रवाई ना कर एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. जिससे दोनों विभाग के अधिकारियों पर सवाल भी खड़े हो रहे हैं. जब मीडिया कवरेज के लिए राइस मिल पहुंची, तो मिल का दबंग मालिक हाथा-पाई पर उतर आया.
कई बार शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं
पवाइया गांव में बिना प्रदूषण विभाग की एनओसी के शिव शक्ति एग्रोटेक राइस मिल चार सालों से चल रही है. शिकायत करने पर प्रदूषण विभाग के अधिकारियों ने कहा कि मिल का बिजली कनेक्शन काटने के लिए विद्युत विभाग के अधिकारियों को पत्र लिखकर दे दिया है. विद्युत विभाग को पत्र लिखे दो महिने हो गए हैं. जिसके बाद सीएम हेल्पलाइन में भी शिकायत की गई, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है.
मिल के प्रदूषण से ग्रामीण और राहगीर परेशान
राइस मिल के चलते ग्रामीणों और राहगीरों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. मिल से धान का गर्दा रोड तक पहुंचता है, जिससे आए दिन एक्सीडेंट हो रहे हैं. बगल से निकलने वाली नहर भी प्रदूषित हो रही है. राइस मिल से होने वाला प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए अब बेहद हानिकारक साबित होते जा रहा है. शिकायत करने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई, जिससे दर्जन भर किसानों ने खेती करना बंद कर दिया है.
एक-दूसरे पर लगा रहे प्रदूषण विभाग और विद्युत विभाग के अधिकारी
राइस मिल की शिकायत को लेकर प्रदूषण विभाग के अधिकारियों ने चार सालों में केवल एक ही नोटिस जारी किया है, जिले के प्रदूषण नियंत्रण विभाग के क्षेत्रीय संचालक एके श्रीवास्तव का कहना है कि राइस मिल से कोई नुकसान नहीं हो रहा है, ना ही क्षेत्र में कोई गंभीर स्थिति बनी हुई है. एके श्रीवास्तव ने कहा कि उन्होंने मिल का बिजली कनेक्शन काटने का पत्र जारी कर दिया है.
भ्रष्टाचार के लग रहे हैं आरोप
वहीं जब विद्युत विभाग के अधिकारी से पत्र के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने किसी प्रकार का पत्र मिलने से साफ मना कर दिया. उन्होंने प्रदूषण विभाग के अधिकारियों को सुझाव दे डाले कि शुरूआत में जांच-पड़ताल कर लेना चाहिए. ताकि भविष्य में इस तरह की नौबत ना आए. वहीं जब प्रदूषण नियंत्रण विभाग के क्षेत्रीय संचालक से विद्धुत विभाग के बड़े अफसर को कोई पत्र न मिलने की बात कही गई तो उन्होंने अफसर पर इशारों में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए बात को टाल दिया.