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प्रशासन का साथ नहीं दे रहे पालक, कैसे मिटेगा कुपोषण का कलंक ?

कुपोषण के कलंक को मिटाने के लिए जितना प्रयास प्रदेश सरकार कर रही है उतना ही अभिभावकों को भी करना पड़ेगा, लेकिन ऐसा नहीं हो पाता. पोषण पुनर्वास केंद्र पर काम कर रहे कर्मचारियों का कहना है कि, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बच्चों को केंद्र तक लाती जरूर हैं, लेकिन 14 दिन यहां कोई रुकना नहीं चाहता. पालक 1 या 2 दिन में बच्चों को ले जाते हैं, जो कि एक बड़ी समस्या हैं.

Malnutrition is increasing due to negligence of parents in Alirajpur
कैसे मिटेगा कुपोषण

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Published : Nov 20, 2020, 5:59 PM IST

Updated : Nov 20, 2020, 9:28 PM IST

अलीराजपुर।कुपोषण यानी एक ऐसा कंलक, जो देश के दिल यानी मध्यप्रदेश पर इस तरह लगा कि, इसको दूर करने की तमाम कोशिशों पर फिलहाल पानी फिरता नजर आ रहा है. राज्य का कोई भी अंचल कुपोषण के कलंक से बच नहीं पाया है. सीमावर्ती आदिवासी अंचल के जिले अलीराजपुर की बात करें तो, यहां भी कुपोषण के गाल में हजारों नौनिहाल समा चुके हैं. जिले में 1286 कुपोषित बच्चे हैं, तो वहीं 9 हजार 549 मध्यम वर्ग के कुपोषित हैं.

कैसे मिटेगा कुपोषण

लगातार बढ़ रहे कुपोषण का कारण कई बार प्रशासन ही नहीं, बल्की बच्चों के अभिभावक भी होते हैं. पोषण पुनर्वास केंद्र पर काम कर रहे कर्मचारियों का कहना है कि, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बच्चों को केंद्र तक लाती जरूर हैं, लेकिन 14 दिन यहां कोई रुकना नहीं चाहता. पालक 1 या 2 दिन में बच्चों को ले जाते हैं, जो कि एक बड़ी समस्या हैं. ऐसे में पुनर्वास केंद्र भी उनकी ज्यादा मदद नहीं कर पाता. अलीराजपुर पिछले साल अतिगंभीर श्रेणी में था, यहां कुल 3,784 बच्चें कुपोषित थे. वर्तमान में ये आंकड़ा 1,286 पर पहुंच गया है. वहीं बात करें मध्यम वर्ग के कुपोषित बच्चों की, तो अभी जिले में 9 हजार 549 बच्चे इस श्रेणी में हैं. कुपोषण के हालत को लेकर जिले की महिला एवं बाल विकास विभाग की डीपीओ रतन सिंह गुंडिया का कहना है, 'कुछ हद तक कुपोषण में जिले में कमी आई है और इसे लगातार कम करने के लिए आगे भी प्रयाश जारी रहेगा'.

अलीराजपुर जिला आदिवासी बहुल क्षेत्र है. यहां पर सुदूर इलाकों में लोग निवास करते हैं, जिसके कारण लोगों को सुविधा समय पर नहीं मिल पाती. जिले में पोषण पुनर्वास केंद्र भी हैं, लेकिन वहां भी बच्चों को पर्याप्त सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं. जो सुविधाएं दी जा रही हैं, पालक उनका सही उपयोग नहीं करते हैं.

Last Updated : Nov 20, 2020, 9:28 PM IST

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