अलीराजपुर। देश में लॉकडाउन 3 के बाद लॉकडाउन 4 शुरु हो गया है, लेकिन अभी भी देश के किसी ना किसी जगह से मजदूरों के पलायन की खबरें आ रही हैं. जिस भी मजदूर को जैसा साधन मिल रहा है वो वैसे अपने गांव, कस्बें तक पहुंच रहा है. लेकिन गांव पहुंचकर भी मजदूर की समस्या खत्म होती नहीं दिख रही है. अब वह भूख से दो चार हो रहा है. जो उन्होंने काम करके पैसा कमाया था वो आने में ही खर्च हो गया है. ना इन मजदूरों के पास खुद की जमीन है और ना ही इनके पैस, तो यह अपना और परिवार के लोगों का पेट भरें तो कैसे भरें. गुजरात से अलीराजपुर आए मजदूरों का कहना है कि गांव में कोई काम धंधा भी नहीं है. जिससे इन प्रवासी मजूदरों की दिक्कतें थमने का नाम नहीं ले रही हैं. गांव लौटे इन मजदूरों के सामने खाने का संकट गहरा गया है.
गुजरात से वापस लौटे प्रवासी मजदूर, गांव में भी भरण-पोषण की समस्या - SK Malaviya, Chief Executive Officer of Zilla Panchayat
अलीराजपुर के जवानिया गांव के मजदूर सप्ताह भर पहले ही गुजरात से अपने घर लौटे हैं और यह गुजरात में मजदूरी का काम करते थे, लेकिन गांव वापस आए मजदूरों के सामने परिवार के भरण-पोषण का संकट है.
अलीराजपुर के जवानिया गांव के मजदूर सप्ताह भर पहले ही गुजरात से अपने घर लौटे हैं और यह गुजरात में मजदूरी का काम करते थे, लेकिन लॉकडाउन ने इन लोगों का एक बार में ही सब कुछ छीन लिया है. इन मजदूरों का कहना है कि वहां से अपने गांव पहुंच तो गए हैं, लेकिन यहां भी समस्या कम नहीं है. काम नहीं होने की वजह से परिवार का भरण पोषण करना मुश्किल हो गया है. मजदूरों का कहना है कि गुजरात से अपने गांव पहुंचने में हमें ढाई हजार रुपए चुकाने पड़े, तब कहीं जाकर अपने घर पहुंच पाए. इसके बाद यहां परिवार का पेट पालन एक नई चुनौती बन गया है. मजदूर विक्रम चौहान का कहना है कि, प्रशासन की ओर से कोई मदद नहीं दी जा रही है.
वहीं जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी एस के मालवीय का कहना है कि अलीराजपुर में करीब 36 हजार मजदूर आ चुके हैं. अधिकतर मजदूर गुजरात में खेती-बाड़ी का काम करते हैं. उन्होंने कहा जो मजदूर बाहर से यहां आए हैं उन्हें मनरेगा और प्रधानमंत्री आवास के तहत काम दिलाए जाने की कोशिश की जा रही है. अब यह देखना होगा कि गुजरात से आए मजदूरों को कितने दिन, काम के लिए इंतजार करना होगा. प्रशासन दावे तो यही कर रहा है कि इन मजदूरों को जल्द काम मुहैया कराया जाएगा, लेकिन यह कब साकार होगा इसे कहना थोड़ी जल्दबाजी है.