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शिक्षक दिवस पर नेत्रहीन शिक्षक के जज्बे को सलाम, मुश्किलों ने भी मानी हौसलों के आगे हार

अलीजपुर जिले के गांव टेमाची में नवीन प्राथमिक स्कूल में पदस्थ नेत्रहीन शिक्षक वामल चौहान ने सभी शिक्षकों के लिए एक मिसाल पेश की है. अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए वे हर मुश्किलों का सामना करते हुए स्कूल पहुंचते हैं.

नेत्रहीन शिक्षक पेश कर रहे मिसाल

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Published : Sep 5, 2019, 3:43 PM IST

अलीराजपुर। उदयगढ़ विकासखंड के गांव टेमाची के रहने वाले नेत्रहीन शिक्षक वामल चौहान ने मिसाल पेश की है. अपने कर्तव्यों को पूरा करने के लिए वामल चौहान उबड़-खाबड़ रास्तों को पार करते हुए नवीन प्राथमिक स्कूल पहुंचते हैं. नवीन प्राथमिक स्कूल में शिक्षक वामल चौहान साल 2001 से पदस्थ हैं. खास बात ये है कि नेत्रहीन शिक्षक वामल चौहान इन बच्चों के लिए किसी मसीहा से कम नहीं हैं और आज तक कभी देर से स्कूल नहीं पहुंचे हैं.

शिक्षक वामल चौहान का कहना है कि उनका बच्चों को पढ़ाने का ये जनून कभी कम नहीं होगा. वो जब तक इस स्कूल में हैं, अपने कर्तव्य को ईमानदारी से निभाते रहेंगे.

नेत्रहीन शिक्षक पेश कर रहे मिसाल
वहीं स्कूल के छोटे-छोटे छात्र भी अपने शिक्षक का रोजाना इंतजार करते हैं, ताकि वे आएं और उन्हें पढ़ाएं. छात्रों का कहना है कि सर से पढ़ना उन्हें बहुत अच्छा लगता है और विषय आसानी से समझ में आ जाते हैं. वहीं इस स्कूल में एक अथिति शिक्षक का कहना है कि वामल सर का ये जुनून देखकर प्ररेणा मिलती है कि जिस रास्ते को आम इंसान को पार करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, उस रास्ते से रोज वामल सर गुजरते हैं. इसके साथ ही उनका जूनून देखकर बहुत कुछ सीखने को मिलता है.

गांव के लोग भी नेत्रहीन शिक्षक वामल चौहान के बारे में बताते हैं कि वे रोजाना आते हैं ओर बीच में पड़ने वाले नाले को भी पार करते हैं, इसके बावजूद वे कभी स्कूल पहुंचने में देर नहीं हुए.

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