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कट्ठीवाड़ा का प्राकृतिक सौंदर्य देखने बड़ी संख्या में आते हैं पर्यटक - कट्ठीवाड़ा मिनी चेरापूंजी

बरसात के मौसम में कट्ठीवाड़ा का प्राकृतिक सौंदर्य देखते ही बनता है, जहां मोर, रीछ, लोमड़ी, बंदर सहित अन्य वन्यजीव घूमते हुए दिखाई देते हैं, जिसे लोग मिनी चेरापूंजी के नाम से भी जानते हैं.

Beauty of nature shown in Katthivada
कट्ठीवाड़ा में दिखा प्रकृति का सौंदर्य

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Published : Aug 22, 2020, 5:51 PM IST

आलीराजपुर। बारिश के मौसम में कट्ठीवाड़ा का प्राकृतिक सौंदर्य देखते ही बन रहा है, जहां पहाड़ों से झरने फूट पड़े हैं. चारों ओर हरियाली छा गई है. ऐसे में पर्यटकों के पहुंचने का सिलसिला भी शुरू हो गया है. आदिवासी अंचल का कट्ठीवाड़ा घने जंगल और झरनों के लिए प्रसिद्ध है. यहां की हरियाली मन मोह लेती है. यहां मोर, रीछ, लोमड़ी, बंदर सहित अन्य वन्यजीव घूमते हुए दिख जाते हैं, वहीं बारिश के समय प्रदेश के अलावा गुजरात राज्य से भी बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं.

कट्ठीवाड़ा में दिखा प्रकृति का सौंदर्य

ईको टूरिज्म का बड़ा केंद्र बन सकता है अंचल
प्रदेश के कट्ठीवाड़ा पर्यटन विभाग में ईको टूरिज्म की संभावना को तलाशा जा रहा है. इसके लिए निजी संस्था के साथ रिजोर्ट सहित अन्य सुविधाओं को लेकर करार किया जाना है. अगर ऐसा होता है तो यहां पर्यटकों की संख्या में खासा इजाफा देखने को मिलेगा.

हर साल औसत से अधिक बारिश, इसलिए कहा जाता है 'मिनी चेरापूंजी'
हर साल जिले की औसत वर्षा से अधिक कट्ठीवाड़ा में बारिश होती है, इसलिए इसे अंचल का 'मिनी चेरापूंजी' भी कहा जाता है. मौसम वैज्ञानिक बताते हैं कि यहां घने वन और पर्वतों की वजह से अधिक बरसात होती है. इस साल भी 34 इंच बारिश हो चुकी है, जबकि शेष जिले में 25 इंच बरसात हुई है.

पिछले 5 सालों में कट्ठीवाड़ा में हुई बारिश
1. 2015 961
2. 2016 1459
3. 2017 1026
4. 2018 1428
5. 2019 2327
6. 2020 842 अब तक.

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