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आगर मालवा: प्रचीन शिवलिंग को बचाने घाट का निर्माण कर बनाया मंदिर - thousand year old shivling in agar malwa

अस्तित्व खोते जा रहे 1 हजार साल पुराने शिवलिंग के प्रति श्रद्धालुओं की आस्था जगाने के लिए नगर परिषद ने कंठाल नदी के बीचो-बीच विराजित शिवलिंग के आसपास मंदिर बना दिया है, जिसे 'महादेव घाट मंदिर' का नाम दिया गया है.

A thousand year old lingam
नदी के बीच में नया मंदिर

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Published : Jun 25, 2020, 5:34 PM IST

आगर मालवा।धार्मिक नगरी सुसनेर का मेला ग्राउंड क्षेत्र नगर का ऐसा क्षेत्र है, जहां प्राचीनकाल से ही कई शिव मंदिर स्थिापित हैं, इसलिए यह क्षेत्र शिव के बाग के नाम से भी जाना जाता है. इन्हीं में से एक अपना अस्तित्व खोते जा रहे 1 हजार साल पुराने शिवलिंग के प्रति श्रद्धालुओं की आस्था को जोड़ने के लिए नगर परिषद ने सराहनीय कार्य किया है. यहां कंठाल नदी के बीच एक चबूरते पर विराजित शिवलिंग के आस-पास मंदिर का निर्माण कर दिया है, जिसे 'महादेव घाट मंदिर' का नाम दिया गया है, ताकि श्रद्धालु यहां आकर पूजा-अर्चना कर सकें. आज यह मंदिर पूरे सुसनेर में आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.

महादेव घाट मंदिर पर शिव परिवार भगवान गणेश, कार्तिकेय, पार्वती और नंदी की प्रतिमा की स्थापना के लिए 5 दिवसीय प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव का आयोजन 24 जून यानि बुधवार से शुरू किया गया है. नगर परिषद द्वारा ढाई लाख रुपए की लागत से मंदिर का निर्माण किया गया है. श्रद्धालु नदी के बीच स्थित शिवलिंग की पूजा कर सकें, इसके लिए घाट का निर्माण कर दोनों तरफ से रेलिंग बनाई गई है. श्रद्धालुओं को दिक्कत ना हो, इसके लिए तीन एलईडी लेम्प की व्यवस्था भी की गई है.

पांच दिवसीय प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के लिए मंदिर को आकर्षक फूलों से सजाया गया है. इस मंदिर के बन जाने के बाद सावन माह में शिव मंदिर में आने वाले श्रद्धालु अब यहां आकर भी पूजा-अर्चना कर सकेंगे. नगर परिषद अध्यक्ष प्रतिनिधि डॉक्टर गजेंद्र सिंह चंद्रावत ने बताया कि कंठाल नदी के बीच में एक हजार साल पुराना शिवलिंग स्थित है, लेकिन नदी के बीचो-बीच होने के चलते श्रद्धालु पूजा नहीं कर पाते थे, इसलिए श्रद्धालुओं की आस्था को ध्यान में रखते हुए महादेव घाट का निर्माण कर मंदिर बनाया गया है.

कंठाल नदी के बीच में शिवलिंग पहले से ही विराजमान था, लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए कोई रास्ता नहीं था, जिससे लोग इस शिवलिंग की पूजा नहीं कर पाते थे. अब मंदिर बन जाने के बाद श्रद्धालु यहां आकर आसानी से पूजा-अर्चना कर सकेंगे.

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