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जिम्मेदारों की उदासीनता के चलते जर्जर हो गया प्राचीन शिवालय, कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा - आगर न्यूज

आगर शहर का मनकामेश्वर महादेव मंदिर जिम्मेदारों की उदासीनता के चलते जर्जर स्थिति में पहुंच गया है. हालात यह है कि, मंदिर की दीवारे क्षतिग्रस्त हो चुकी है. मंदिर में आने वाले भक्तों में हर समय भय की स्थिति बनी रहती है. वर्षाकाल में तेज बारीश के चलते यह मंदिर कभी भी गिर सकता है.

The pagoda of the city is dilapidated
जर्जर हुआ नगर का शिवालय

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Published : Jul 18, 2020, 1:01 PM IST

आगर। सावन का माह चल रहा है, जिसके चलते सभी शिव मंदिरों में पूजा अर्चना करने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ रही है, लेकिन आगर- मालवा जिले के सुसनेर की सत्यनारायण गली का प्राचीन शिव मंदिर ऐसा है, जहां भक्त नहीं पहुंच रहे हैं. दरअसल यह मंदिर जिम्मैदारों की उदासीनता के कारण जर्जर अवस्था में पहुंच गया है. इस वजह से यहां हादसे की आशंका के चलते भक्तों ने मंदिर आना ही बंद कर दिया है. जो भक्त यहां पहुंच रहे हैं वे भी मंदिर के बाहर ही बैठकर पूजा और मंत्र जाप आदि करके चलते जाते हैं.

जर्जर हुआ नगर का शिवालय

इस मंदिर को मनकामेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है, जो पिछले कई सालों से प्रशासनिक अधिकारियों और क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण जर्जर हो चुका है. हालात ये है कि, मंदिर की दीवारें क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं. मंदिर आने वाले भक्तों में हर समय भय की स्थिति बनी रहती है. वर्षाकाल में तेज बारीश के चलते ये मंदिर कभी भी गिर सकता है. बेहद प्राचीन मंदिर होने के कारण यह श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र था, प्रशासन की उदासीनता के चलते यह मंदिर जर्जर अवस्था में पहुंच गया है. कुछ लोगों का कहना है कि, यह मंदिर धर्मस्व विभाग के अधीन होकर शासन के रिकॉर्ड में भी दर्ज है, फिर भी प्रशासन के द्वारा इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. नगर की स्थापना से पहले बने इस मंदिर की स्थापना के बारे में किसी को भी पता नहीं है.

मंदिर में आने वाले भक्त और सामाजिक कार्यकर्ता ओमप्रकाश सेन का कहना है कि, प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण यह मंदिर आज जर्जर अवस्था में पहुंच गया है. कई बार अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों तक इसका जीर्णोद्धार करवाए जाने की मांग की गई, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. समय रहते इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाए जाने की जरूरत है, नहीं तो शहर की प्राचीन धरोहर अपना अस्तित्व खो देगी. पुजारी का कहना है कि, कई पिढ़ियों से उनके पुर्वज इस मंदिर की पुजा करते आ रहे हैं. यह मंदिर अतिप्राचीन होने के साथ ही आसपास के श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र भी बना हुआ है. मंदिर समिति के द्वारा समय-समय पर आयोजन भी किऐ जाते हैं. उनका कहना कि, पिछले साल तक तो फिर भी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का मंदिर में आना होता था, लेकिन इस बार की बारिश में दीवारें क्षतिग्रस्त हो जाने से भक्त कम ही आते हैं.

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