भिंड।चंद्रमा की स्थिति और ग्रहों में गोचर करना बहुत अहम माना जाता है. चंद्र मास की स्थित से त्योहार और तिथियां निर्धारित की जाती हैं. जहां शुक्लपक्ष में चंद्रमा दिन ब दिन बढ़ा होता है. कृष्ण पक्ष में चन्द्रमा घाट कर अमावस्या पर पूरी तरह गायब रहता है. अमावस्या पर पूजा पाठा दान पुण्य करना बहुत अच्छा माना जाता है, लेकिन जब कोई खास संयोग या मौका अमावस के दिन हो तो इसका महत्व और बढ़ जाता है. ऐसा ही शनिवार को होने जा रहा है. क्योंकि 21 जनवरी को मौनी अमावस्या है.
क्या होता है मौनी अमावस्या का महत्व:सनातन धर्म में मौनी अमावस्या का बहुत महत्व माना गया है. कहा जाता है कि, इस तिथि पर संसार के प्रथम योगीपुरुष ऋषि मनु का जन्म हुआ था. इसलिए इस दिन को ईश्वर से क्षमा याचना और तपस्या के लिए अत्यंत शुभ माना गया है. इस दिन याचक मौन व्रत धारण करते हैं. जिस वजह से इसे मौनी अमावस्या नाम दिया गया है. मौनी अमावस्या मध्य माघ यानी माघ के महीने के मध्य में आती है. इसलिए इसे माघी अमावस्या भी कहा जाता है.
विधि विधान के साथ व्रत:मौनी अमावस्या पर पूजा पाठ करना और मन में मंत्रोच्चार करना चाहिए पूजन भी विधि विधान से करना फलदायी होता है. इसके लिए सुबह ब्रह्म महूर्त में उठकर घर की साफ सफाई कर नदी में स्नान करना चाहिए. घर में हो तो पानी में गंगाजल मिश्रित कर ले. पवित्र जल से स्नान करते समय मंत्रोचार करना चाहिए. मौनी अमावस्या पर स्नान के समय ये मंत्र 'गंगा च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती, नर्मदे सिंधु कावेरी जलेस्मिन संनिधिम कुरु' का उच्चार किया जाता है. स्नान के बाद भगवान विष्णु का ध्यान कर मौन व्रत धारण करना चाहिए. मौन व्रत के समय भी मन में मंत्र का उच्चार करना चाहिए. घाट में यदि तुलसी का पौधा हो तो उसकी 108 फेरी लगाएं. गरीबों का दान पुण्य करना भी अच्छा रहता है.