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गौ-कैबिनेट की पहली बैठक से पहले गौ-अभ्यारण्य पहुंचा ईटीवी भारत, हालात देखकर दंग रह जाएंगे आप

शिवराज सरकार ने गौधन संरक्षण और संवर्धन के लिए 'गौ कैबिनेट' का गठन किया है, जिसको लेकर ईटीवी भारत की टीम आगर मालवा में बनी एशिया की सबसे बड़ी गौशाला की वास्तविक स्थिति का जायजा लेने पहुंची, देखिए ETV BHARAT का रियलिटी चेक....

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ETV BHARAT का रियलिटी चेक

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Published : Nov 20, 2020, 8:29 AM IST

Updated : Nov 20, 2020, 12:10 PM IST

आगर मालवा। गायों के संवर्धन एवं संरक्षण के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गौ-कैबिनेट बनाने की घोषणा की है, और इस कैबिनेट की पहली बैठक 22 नवम्बर को गोपाष्ठमी के अवसर पर जिले की सुसनेर तहसील के ग्राम सालरिया में बने एशिया के सबसे बड़े कामधेनु गौअभ्यारण्य में होना है. मुख्यमंत्री के आगमन से पहले गुरुवार को ईटीवी भारत की टीम ने गौ-अभ्यारण्य की स्थिति का जायजा लिया, तो यहां के हालात बद से बदतर दिखाई दिए. गायों के संरक्षण के लिए बनाए गए इस गौअभ्यारण्य में गाय खून के आंसू रोने पर मजबूर है. स्थिति यह है की गायों की सुध लेने वाला यहां कोई नहीं है. तड़पती गायों को जिम्मेदार यहां मरने के लिये छोड़ देते हैं. गायों के नाम पर सालाना आने वाले करोड़ों के बजट का खर्च आखिर कहां होता है यह कोई नहीं जानता है.

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गायों को रखने बने 24 कंपाउंड

इस गौअभ्यारण्य में गायों को रखने के लिए 24 अलग-अलग कंपाउंड बनाए गए है. ईटीवी भारत की टीम ने हर कंपाउंड का जायजा लिया तो स्थिति काफी गंभीर दिखाई दी. हर कंपाउंड में गाय बेसुध दिखाई दी. कई जगह गाय मृत पड़ी हुई थी तो कहीं पर गाय मरने का इंतजार कर रही थी. इन तड़पती गायों की थोड़ी बहुत भी सुध लेने के लिए एक कर्मचारी भी वहां नहीं दिखाई दिया. कुछ कंपाउंड में तो गाय खून के आंसू रोती दिखाई दी. लेकिन ऐसे में इन गायों को किसी प्रकार का उपचार दिया जाता नहीं दिखाई दिया. तड़पती गायों को लेकर वहां तैनात पशु चिकित्सक से बात करना चाही तो उन्होंने बात करने से साफ इंकार कर दिया. वही वहां काम करने वाले मजदूर भी अधिकारियों से इतने डरे सहमे हैं कि मीडिया को देखते ही वहां से निकल जाते है.

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सालाना एक करोड़ 80 लाख का बजट

इस गौअभ्यारण्य की देखभाल के लिए बजट के नाम पर सालाना एक करोड़ 80 लाख रुपए दिए जाते हैं. इस बजट में गायों के लिए भूसा-पानी के साथ ही काम करने वाले मजदूरों का मेहनताना भी शामिल है. वहीं मेंटेनेंस एवं अन्य खर्च को लेकर 30 से 40 लाख रुपए का मद अलग से आता है. हालांकि गायों के खानपान की व्यवस्था यहां ठेके पर दी गई है, जिससे गायों की देखभाल में कहीं न कहीं लापरवाही चिकित्सकों के साथ-साथ ठेकेदार की भी दिखाई देती है. वर्तमान में तो यहां गायों के लिए पर्याप्त भूसा है लेकिन जब से गौअभ्यारण्य का संचालन आरम्भ हुआ है, तभी से कभी भूसे की कमी रहती थी, कभी खराब भूसा गायों के लिए मंगवाया जाता था.

गंदगी का अंबार

रोज दम तोड़ती हैं गाय

इस गौअभ्यारण्य में गायों की मौत को कहा जा रहा है कि यहां तकरीबन दो से तीन गाय दम तोड़ती हैं. पशु चिकित्सा विभाग के पास गायों की कुल मौत का ऐसा कोई आंकड़ा नहीं है लेकिन पिछले तीन सालों में यहां सैंकड़ों गाये दम तोड़ चुकी है. डेढ़ साल पहले यहां एक साथ 35 से 40 गायों की एक दिन में मौत हुई थी, तब गायों की इन मौतों को लेकर राजनीतिक गलियारों में बड़ा मुद्दा बन गया था.

कीचड़ में गाय

स्टॉफ की कमी

यहां जितनी गाय हैं उनके हिसाब से गायों का उपचार करने के लिए चिकित्सकों के साथ ही अन्य स्टॉफ मिलाकर 15 पद है, लेकिन इनमें वर्तमान में केवल 6 चिकित्सक एवं स्टॉफ यहां पदस्थ हैं. बाकी पद अभी तक रिक्त पड़े हुए हैं, यदि इन पदों की पूर्ति हो जाती है तो कहीं न कहीं स्थिति में सुधार होगा.

3 साल बाद भी शुरु नहीं हो पाया अनुसंधान केंद्र

गौअभ्यारण्य बनाये जाने के साथ ही यहां पर गौमूत्र से औषधि बनाने के लिए एक अनुसंधान केंद्र भी बनाया गया था, लेकिन इस अनुसंधान केंद्र को भी आज तक शुरु नहीं किया गया. इसको शुरू करने को लेकर अधिकारियों का कहना है कि किसी वैज्ञानिक या अन्य कर्मचारी पदस्थ नहीं हुए हैं. इसलिए बिना किसी वैज्ञानिक के यह अनुसंधान केंद्र चालू नहीं हो पाया.

32 करोड़ की लागत से बना था गौअभ्यारण्य

आगर जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर सालरिया में कामधेनु गौअभ्यारण का निर्माण हुआ था, 32 करोड़ की लागत से एशिया के एकमात्र इस गौअभ्यारण्य की घोषणा जनवरी 2008 में शिवराज सिंह द्वारा की गई थी. 24 दिसंबर 2012 को संघ प्रमुख मोहन भागवत ने इसका भूमिपूजन किया था और 27 सितंबर 2017 को इसका विधिवत रूप से उद्घाटन किया गया. लेकिन इस अभ्यारण्य के शुरू होने के बाद से अभी तक यह अभ्यारण भी राजनीति का अखाड़ा बना हुआ है, और हिंदू धर्म में पूजी जाने वाली गाय राजनीति की वस्तु बन गई है. 472 हेक्टेयर क्षेत्र में बने इस अभ्यारण में 6 हजार गायों को रखने की जगह है. लेकिन वर्तमान में यहां 3 हजार 950 गायों को रखा गया है.

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जिले में एशिया का सबसे बड़ा अभ्यारण्य होने के बावजूद भी जिले में गाय दर-दर की ठोकरे खा रही हैं. यदि क्षमता के हिसाब से इसमें गायों को रखा जाए तो कई बेसहारा गायों को यहां आसरा मिल सकता है, लेकिन कहीं न कहीं गायों को रखने में बजट की एक बड़ी समस्या सामने आती है.

पशु चिकित्सा विभाग के उपसंचालक एसवी कोसरवाल से जब चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि '22 नवंबर को गोपाष्टमी पर सीएम शिवराज सिंह के गौ कैबिनेट की पहली बैठक कामधेनु गौ अभ्यारण में होगी. इसको लेकर तैयारियां की जा रही है. वहीं गायों की खराब स्थिति को लेकर कोसरवाल से बात की तो उन्होंने भी इस बात को स्वीकार की कुछ गाये बीमार हैं जिनका उपचार किया जा रहा है.

Last Updated : Nov 20, 2020, 12:10 PM IST

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