आगर मालवा। गायों के संवर्धन एवं संरक्षण के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गौ-कैबिनेट बनाने की घोषणा की है, और इस कैबिनेट की पहली बैठक 22 नवम्बर को गोपाष्ठमी के अवसर पर जिले की सुसनेर तहसील के ग्राम सालरिया में बने एशिया के सबसे बड़े कामधेनु गौअभ्यारण्य में होना है. मुख्यमंत्री के आगमन से पहले गुरुवार को ईटीवी भारत की टीम ने गौ-अभ्यारण्य की स्थिति का जायजा लिया, तो यहां के हालात बद से बदतर दिखाई दिए. गायों के संरक्षण के लिए बनाए गए इस गौअभ्यारण्य में गाय खून के आंसू रोने पर मजबूर है. स्थिति यह है की गायों की सुध लेने वाला यहां कोई नहीं है. तड़पती गायों को जिम्मेदार यहां मरने के लिये छोड़ देते हैं. गायों के नाम पर सालाना आने वाले करोड़ों के बजट का खर्च आखिर कहां होता है यह कोई नहीं जानता है.
गायों को रखने बने 24 कंपाउंड
इस गौअभ्यारण्य में गायों को रखने के लिए 24 अलग-अलग कंपाउंड बनाए गए है. ईटीवी भारत की टीम ने हर कंपाउंड का जायजा लिया तो स्थिति काफी गंभीर दिखाई दी. हर कंपाउंड में गाय बेसुध दिखाई दी. कई जगह गाय मृत पड़ी हुई थी तो कहीं पर गाय मरने का इंतजार कर रही थी. इन तड़पती गायों की थोड़ी बहुत भी सुध लेने के लिए एक कर्मचारी भी वहां नहीं दिखाई दिया. कुछ कंपाउंड में तो गाय खून के आंसू रोती दिखाई दी. लेकिन ऐसे में इन गायों को किसी प्रकार का उपचार दिया जाता नहीं दिखाई दिया. तड़पती गायों को लेकर वहां तैनात पशु चिकित्सक से बात करना चाही तो उन्होंने बात करने से साफ इंकार कर दिया. वही वहां काम करने वाले मजदूर भी अधिकारियों से इतने डरे सहमे हैं कि मीडिया को देखते ही वहां से निकल जाते है.
इस गौअभ्यारण्य की देखभाल के लिए बजट के नाम पर सालाना एक करोड़ 80 लाख रुपए दिए जाते हैं. इस बजट में गायों के लिए भूसा-पानी के साथ ही काम करने वाले मजदूरों का मेहनताना भी शामिल है. वहीं मेंटेनेंस एवं अन्य खर्च को लेकर 30 से 40 लाख रुपए का मद अलग से आता है. हालांकि गायों के खानपान की व्यवस्था यहां ठेके पर दी गई है, जिससे गायों की देखभाल में कहीं न कहीं लापरवाही चिकित्सकों के साथ-साथ ठेकेदार की भी दिखाई देती है. वर्तमान में तो यहां गायों के लिए पर्याप्त भूसा है लेकिन जब से गौअभ्यारण्य का संचालन आरम्भ हुआ है, तभी से कभी भूसे की कमी रहती थी, कभी खराब भूसा गायों के लिए मंगवाया जाता था.
रोज दम तोड़ती हैं गाय
इस गौअभ्यारण्य में गायों की मौत को कहा जा रहा है कि यहां तकरीबन दो से तीन गाय दम तोड़ती हैं. पशु चिकित्सा विभाग के पास गायों की कुल मौत का ऐसा कोई आंकड़ा नहीं है लेकिन पिछले तीन सालों में यहां सैंकड़ों गाये दम तोड़ चुकी है. डेढ़ साल पहले यहां एक साथ 35 से 40 गायों की एक दिन में मौत हुई थी, तब गायों की इन मौतों को लेकर राजनीतिक गलियारों में बड़ा मुद्दा बन गया था.
स्टॉफ की कमी