आगर मालवा। मोदी सरकार के वित्तीय समावेश कार्यक्रम प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत 40 करोड़ से अधिक बैंक खाते खोले जा चुके हैं. योजना की शुरुआत छह साल पहले की गई थी. सरकार का दावा है कि, इससे गरीब से गरीब वर्ग की पहुंच बैंकिंग प्रणाली तक हो सकेगी. साथ ही तमाम सरकारी योजनाओं के तहत दी जाने वाली आर्थिक सहायता राशि सीधे बैंक खातों में जमा हो सकेगी. इन तमाम दावों की पड़ताल के लिए ईटीवी भारत की टीम आगर जिला मुख्यालय से महज 3 किमी दूर स्थित आवर गांव में पहुंची. यहां के हालात कुछ और ही बयां कर रहे हैं.
निर्धनों के काम नहीं आ रहा 'जनधन' आधार लिंक की समस्या
स्थानीय निवासी बहादुर सिंह का कहना है कि, उन्होंने तो कई बार आधार भी लिंक करवा दिया है, बावजूद इसके उनका खाता बंद है. जिससे उन्हें सरकार की तरफ से दी जाने वाली आर्थिक सहायता नहीं मिल पा रही है.
महिलाओं ने बयां किया दर्द
कोरोना काल में केंद्र सरकार ने जनधन खातों के जरिए जरूरतमंद लोगों को पांच सौ रुपए प्रतिमाह के हिसाब से तीन किस्त जमा की है. लेकिन जब कमलाबाई ये राशि निकालने पहुंचीं, तो पता चला कि उनके खाते में कोई भी ट्रांजेक्शन नहीं हुआ है. एक बुजुर्ग महिला महीनों से पेंशन के लिए भटक रही है. लेकिन अभी भी उसके खाते में कोई राशि नहीं आई है. ईटीवी भारत से अपना दर्द बयां करते हुए बुजुर्ग रो पड़ी.
इस वजह से बंद हो रहे हैं खाते
जब इस संबंध में अग्रणी बैंक प्रबंधक सरदार सिंह कटारा से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि, जनधन खातों के संचालन में बहुत सारी तकनीकी खामियां हैं. जिसको ज्यादातर हितग्राही नहीं जानते. हितग्राही इन खातों में लगातार लेन-देन नहीं करते हैं. वे यही सोचते हैं कि, केवल सरकार ही इस खाते में पैसे डालेगी. ऐसे में कई खाते लेन-देन के अभाव में बंद हो जाते हैं.
बैकिंग प्रणाली सरल बनाने की जरूरत
जनधन खाता केंद्र सरकार की प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) योजना को आगे बढ़ाने का बेहतर जरिया तो है, लेकिन बैकिंग शिक्षा की कमी के चलते गांवों में आज भी कई लोग इसका लाभ नहीं उठा पा रहे हैं. ऐसे में इस प्रणाली को और आसान बनाने की जरूरत है.
बंद हो रहे हैं जनधन खाते
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर 2016 में जनधन खातों में जीरो बैलेंस खातों की संख्या घटकर 24 फीसदी रह गई है. जबकि दिसंबर 2014 में ये 73 फीसदी थी. इसके अलावा 83 फीसदी से भी अधिक सक्रिय खातों को आधार से जोड़ा गया है.
सरकार का दावा
इस योजना के तहत देश के सरकारी बैंकों ने घर-घर जाकर लोगों के जीरो बैलेंस पर खाते खोलने की मुहिम को अंजाम दिया है. पहले ही साल 17 करोड़ से ज्यादा अकाउंट खुले. 6 साल बाद जनधन खातों की संख्या 40 करोड़ को पारकर चुकी है. इस योजना के तहत खोले गए कुल खातों में से 63.6 फीसदी ग्रामीण इलाकों में खोले गए हैं. वहीं 55.2 फीसदी खाताधारक महिलाएं हैं. अगस्त 2020 तक खातों में जमा राशि 1 लाख 30 हजार करोड़ के स्तर को पार कर गई है. जनधन खातों में औसत जमा राशि में बढ़ोतरी देखी गई है.
जनधन खाते में मिलने वाली सुविधाएं
इस खाते में ओवरड्राफ्ट सुविधा के साथ-साथ रुपे डेबिट कार्ड भी उपलब्ध कराया जाता है. इस डेबिट कार्ड पर 1 लाख रुपये एक्सिडेंटल इंश्योरेंस फ्री में मिलता है. आपको बता दें कि, जनधन खाता धारक को एक और बात का ध्यान रखना होगा कि, अगर वे अपने खाते पर चेकबुक की सुविधा लेना चाहते हैं, तो इसके लिए उन्हें अपने खाते में जरूर कुछ रकम रखना अनिवार्य होगा.
अन्य सुविधाएं
- पूरे भारत में पैसे ट्रांसफर करने की सुविधा.
- सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के तहत सीधे जनधन खातों में फंड ट्रांसफर.
- छह माह तक खातों का संतोषजनक संचालन के बाद ओवरड्रॉफ्ट फैसेलिटी की सुविधा मिलती है.
- प्रति परिवार, खासकर परिवार की स्त्री के लिए सिर्फ एक खाते में 10 हजार रुपए तक की ओवरड्राफ्ट की सुविधा मिलती है.