आगर-मालवा। जिला मुख्यालय से महज 20 किमी की दूरी पर स्थित लखमनखेड़ी गांव में लोग पानी की कमी के कारण भीषण संकट से जूझ रहे हैं. 300 लोगों की आबादी वाले इस गांव के लोग नदी के किनारे खोदे गए एक गड्ढे का गंदा और मटमैला पानी पीने के लिये उपयोग करना पड़ रहा है, इस पानी को सभी पशु भी पीते हैं. पानी के अभाव में अभी तक गांव की करीब 10 गायें दम तोड़ चुकी हैं.
गड्ढे का गंदा पानी इस्तेमाल करते हैं ग्रामीण ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें पानी के लिए बहुत परेशान होना पड़ रहा है, पशुओं के पीने वाले पानी को हम लोग पी रहे हैं. गांव के जवाबदारों को समस्या बता-बताकर परेशान हो चुके हैं, लेकिन पानी की समस्या का कोई समाधान नही हो रहा है. ग्रामीणों ने बताया कि गांव में जिम्मेदारों द्वारा दो हैंडपंप भी लगाए गए लेकिन दोनों हैंडपम्प बन्द पड़े हैं. ग्रामीणों की प्यास बुझाने के लिए एक कुंआ भी खोदा गया, लेकिन कम खुदाई किये जाने के कारण इसमें पानी नही निकल पाया.
इस तरह बुझाते हैं प्यास
गांव के लोग पानी के लिए में सुबह से ही जुट जाते हैं, करीब एक से दो किलोमीटर का रास्ता तय करने के बाद टिल्लर नदी के किनारे पर पानी के लिए खोदे गए एक गड्ढे से गंदगी को छानकर सभी लोग पानी भरते हैं. हालांकि उसके बावजूद भी पानी गंदा और मटमैला ही आता है. जब गड्ढे का पानी खत्म हो जाता है, तब सभी लोग दूसरे दिन फिर इस गड्ढे के पानी से भर जाने का इंतजार करते हैं. यही प्रक्रिया प्रतिदिन चलती है. पालतू पशुओं को तो ग्रामीण अलग से पानी पिला देते हैं, लेकिन आवारा पशु पानी के लिए इसी गड्ढे में पहुंच जाते हैं. ऐसे में यह पानी काफी ज्यादा दूषित हो जाता है.
जब इस संबंध में ग्राम पंचायत के जवाबदारों से बात करने की कोशिश की गयी तो उन्होंने कुछ बोलने से पल्ला झाड़ लिया. वहीं जिले के अपर कलेक्टर एनएस राजावत ने बताया कि उनकी जानकारी में ऐसा कोई गांव नही है, जहां पानी की समस्या है. फिर भी आपके द्वारा जानकारी मिली है तो पता किया जायेगा और समस्या मिलने पर उसका निराकरण किया जाएगा.