MP Seat Scan Agar Malwa: आगर मालवा से जुड़े 2 रोचक मिथक, पढ़कर चौंक जाएंगे आप, जानिए क्या है इस सीट का समीकरण
चुनावी साल में ईटीवी भारत आपको मध्यप्रदेश की एक-एक सीट का विश्लेषण लेकर आ रहा है. आज हम आपको बताएंगे आगर मालवा विधानसभा सीट के बारे में. इसी सीट का अपना अलग मिजाज है. यहां तक कि इससे जुड़े दो मिथक भी हैं. जानिए क्या है आगर मालवा सीट से जुड़ा मिथक और राजनीतिक समीकरण...
आगर। मध्यप्रदेश की विधानसभा सीटों में एक सीट से दो रोचक मिथक जुड़े हुए हैं. माना जाता है कि यह एक ऐसी सीट है, जिसका निर्णय तय करता है कि प्रदेश की सत्ता में कौन सा राजनीतिक दल बैठेगा. दूसरा इस सीट पर एक बार चुने जाने के बाद आमतौर पर दूसरी बार वही प्रत्याशी जीतकर नहीं आ पाता. बशर्ते पार्टी भले ही रिपीट हो जाए. एक तरह से यहां के मतदाता एक प्रत्याशी पर अगले चुनाव में भरोसा नहीं जताते. यह विधानसभा सीट से मध्यप्रदेश की आगर मालवा 16 अगस्त 2013 को शाजापुर जिले से अलग होकर आगर जिले का गठन किया गया. इस जिले में आगर और सुसनेर दो विधानसभा सीटें आती हैं.
विधानसभा चुनाव में आगर-मालवा जिले की आगर विधानसभा सीट पर मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच है. यहां से बीजेपी प्रत्याशी माधव सिंह हैं तो कांग्रेस प्रत्याशी विपिन वानखेड़े हैं. वहीं सुसनेर विधानसभा से बीजेपी प्रत्याशी विक्रम सिंह राणा गुड्डू भैया का मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी भैरू सिंह बापू से है.
आगर मालवा सीट का रिपोर्ट कार्ड
पार्टियां हर चुनाव में बदलती हैं चेहरा:आगर विधानसभा सीट में मतदाता चुनाव में रिपीट चेहरे को नकार देती है. यही वजह है कि आमतौर पर पार्टियां हर विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार को बदल देती है. इस सीट पर बीजेपी विधायक मनोहर ऊंटवाल के निधन की वजह से 2020 में उपचुनाव हुआ था. उपचुनाव में कांग्रेस विधायक विपिन वानखेडे़ ने 1947 वोटों से जीत दर्ज की थी. वैसे इस सीट पर बीजेपी की अच्छी पकड़ रही है. आजादी के बाद 1995, 1972, 1985 और 1998 के अलावा 2020 के उपचुनाव में ही कांग्रेस को इस सीट पर सफलता मिल सकी. बाकी 15 चुनाव और 2014 का उपचुनाव बीजेपी ही जीतती रही.
साल 2018 का रिजल्ट
आगर-मालवा से जुड़ा एक मिथक: इस सीट से जुड़ा एक अन्य मिथक यह भी है कि इस सीट से जिस पार्टी का विधायक जीतता है, प्रदेश में उसी पार्टी की सरकार बनती है, हालांकि यह सिलसिला 2018 के चुनाव में टूट गया था. यहां बीजेपी का विधायक जीतकर आया, लेकिन सरकार कमलनाथ की बनी थी, लेकिन इसके पहले 2013, 2008, 2003 में इस सीट से बीजेपी उम्मीदवार जीतकर आया और सरकार बीजेपी की बनी थी. 1998 में इस सीट से कांग्रेस विधायक ने जीत दर्ज की थी और सरकार कांग्रेस की बनी थी.
सौंधिया समाज के मतदाता सबसे ज्यादा: आगर जिले में 2,26,357मतदाता अपने मत के जरिए जनप्रतिनिधि को चुनती है. इसमें पुरूष मतदाताओं की संख्या 1,16,967है, जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 1,09,382 है. थर्ड जेंडर के मतदाताओं की संख्या 8 है. आगर जिले की सीमा राजस्थान को छूती है. वहीं दूसरी तरफ शाजापुर, नीमच, मंदसौर और उज्जैन जिले से भी यह जिला लगता है. इस विधानसभा सीट पर सौंधिया समाज के मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है. इसके अलावा ठाकुर, यादव मतदाता भी अच्छी संख्या में हैं.