भोपाल।पौराणिक ग्रंथों के अनुसार श्रीविष्णु के शरीर से माता एकादशी उत्पन्न हुई थी. इसलिए साल में कुल 24 बार पड़ने वाली एकादशी तिथि का महत्व होता है. एक मास में दो बार एकादशी पड़ती है एक कृष्ण पक्ष में और दूसरी शुक्ल पक्ष में (Mokshada Ekadashi 2022). वहीं मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी के रूप में मनाया जाता है. जो आज यानी शनिवार को है.
क्यों रखा जाता है मोक्षदा एकादशी का व्रत:कहते हैं मोक्षदा एकादशी को विधि अनुसार पूजा पाठ करने से सर्वोत्तम फल की प्राप्ति होती है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना का विधान है. कई जातक व्रत भी रखते हैं. मान्यता है कि मोक्षदा एकादशी पर व्रत रखने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. ध्यानी ज्ञानियों का मन्तव्य है कि इस दिन गीता पाठ करने से भी कई जन्मों के पापों से मुक्ति मिल जाती है और शुभ फल की प्राप्ति होती है.
विष्णु भगवान के इस स्वरूप की पूजा: इस दिन शंख, चक्र गदाधारी भगवान विष्णु के चतुर्भुज स्वरूप की पूजा करने से पूर्वजों को मोक्ष तक पहुंचने में मदद मिलती है. मान्यता है कि जितना पुण्य हजारों वर्षों की तपस्या करने से मिलता है, उतना ही फल सच्चे मन से इस व्रत को करने से मिलता है. इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम और नारायण कवच का पाठ करना बहुत ही उत्तम माना गया है.
ऐसे करें मोक्षदा एकादशी की पूजा:भगवान विष्णु के चतुर्भुज स्वरूप की तस्वीर या मूर्ति के सामने घी का दीपक और धूप जलाएं, फिर व्रत का संकल्प लें. भगवान विष्णु का पंचामृत से अभिषेक कर उन्हें फूलों की माला पहनाएं. इसके बाद विधि-विधान से पूजा में रोली, चंदन, धूप, सिंदूर, तुलसी के पत्ते और मिठाई और फलों का भोग लगाएं. एकादशी की कथा सुनने के बाद विष्णु सहस्रनाम का पाठ कर आरती करें. पूरे दिन फलहार व्रत रखें और रात के समय जागरण करें. अगले दिन पूजा करने के बाद व्रत का पारण करें और दान-पुण्य करें. (puja vidhi of lord vishnu and mata laksmi)
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