जया एकादशी 2023: हर महीने दो पक्षों में दो एकादशी आती है. वैसे तो हर महीने की एकादशी का व्रत मनुष्य को शुभ फल देता है, मगर जया एकादशी का व्रत मानव को कठिनाई से मुक्ति दिलाता है. इस व्रत को करने से पूर्वजों को भी प्रेत योनि से मुक्ति मिल जाती है. एक वर्ष में कुल 24 से 27 तक एकादशी हो सकती हैं जो अलग अलग नामों से जानी जाती हैं. माघ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जया एकादशी कहा जाता है. सनातन धर्म में यह भी मान्यता है कि जया एकादशी के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से व्रती को अक्षय पुण्य की प्राप्ति तो होती ही है, उसके कुल के वारिसों को भी राजयोग मिलता है.
जया एकादशी का महत्व:जया एकादशी का व्रत करने और भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करने पर मनुष्य को प्रेत आदि की योनि से मुक्ति मिलती है. विधिवत पूजा-अर्चना करने वाले भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती है. भगवान विष्णु की कृपा मिलने से अनजाने में किये गए पापों, सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है. भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को जया एकादशी के महत्व के बारे में बताया था, कि यह व्रत ‘ब्रह्म हत्या’ जैसे पाप से भी मुक्ति दिला सकता है.
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कैसे करें जया एकादशी का पूजा: इस दिन प्रातः काल में सूर्योदय से पहले स्नान कर नवीन या साफ धुले हुए वस्त्र धारण करके व्रत का संकल्प लें. इसके बाद भगवान श्री हरि विष्णु और माता एकादशी का पूजन किया जाता है. इस दिन पीपल के पेड़ की भी पूजा कर उसकी जड़ में जल चढ़ाएं और घी का दीपक जलाएं. ऐसा करने से आपकी मनोकामनाएं जल्द ही पूर्ण होंगी और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होगी. इस दिन भगवान विष्णु के द्वादश अक्षर मंत्र महामंत्र ओम नमो भगवते वासुदेवाय का जाप करना चाहिए. विष्णु सहस्त्रनाम, श्री नारायण स्त्रोत आदि का भी पाठ करना शुभ माना गया है. पुरुष सूक्त, लक्ष्मी सूक्त का पाठ करना भी विशेष फल देता है. इस शुभ दिन ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का पाठ करना चाहिए. इस दिन पीले, सफेद आदि शुभ वस्त्रों को धारण करना चाहिए. भगवान श्री हरि विष्णु को पीले पुष्पों की माला आदि चढ़ाई जानी चाहिए.