आगर-मालवा। जिले में देश के पहले गौ-अभयारण्य में गायों के गोबर से इकोफ्रेंडली लकडियां बनाई जा रही हैं ताकि पर्यावरण संरक्षण किया जा सके. शेष बचे गोबर का उपयोग गोबर गैस प्लांट में किया जा रहा है. मशीनों के जरीए बनाई जा रही गोबर की इन लकडियों का अंत्येष्टि या फिर हवन के लिये उपयोग में किया जा सकता है.
गोबर से बनतीं इकोफ्रेंडली लकडियां गौ- अभ्यारण में गायों के गोबर से लकडियां बनाने का काम अभी प्रायोगिक तौर पर हो रहा है. प्रयोग अगर सफल होता है तो फिर बड़े पैमाने पर गोबर से लकडियां बनाने का काम किया जा सकता है. बाद में इन लकडियों को बाजार में बेचने से अभयारण्य प्रशासन को आय भी हो सकेगी.
2017 में अपने उद्घाटन के बाद से ही गौ अभयारण्य कई तरह के विवादों में घिरा रहा. लेकिन इस बार गायों को भीषण गर्मी से बचाने तथा पर्यावरण संरक्षण के लिए किए जा रहे सकारात्मक प्रयासों को लेकर चर्चा में है.
गौ-अभयारण्य के पशु चिकित्सक डॉक्टर एसएस सागर ने बताया कि यहां गर्मी के मौसम में घास नहीं है, इसलिए गायों को उच्च गुणवत्ता वाला भूसा खिलाया जा रहा है और दुधारू गायों को हरीघास खिलाई जा रही है. ग्वालियर की एक गोशाला की तर्ज पर गौ-अभयारण्य में गायों की सुविधां के लिए फव्वारें लगाए गए हैं. गायें किसी बीमारी का शिकार न हो, इसके लिए ओआरएस का घोल पिलाया जा रहा है.