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नए शैक्षणिक सत्र शुरू होने के बाद भी गर्मी के चलते बच्चे नहीं जा रहे स्कूल, समय से पहले ही स्कूलों में लग रहे ताले - आगर मालवा

नए शैक्षणिक सत्र शुरू होने के बाद भी शासकीय और अशासकीय स्कूलों में पढ़ाई के लिए नहीं जा रहे बच्चे, समय से पहले शिक्षक स्कूलों में लगा रहे हैं ताले

शासकीय और अशासकीय स्कूल

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Published : Apr 18, 2019, 7:11 PM IST

आगर मालवा। प्रदेश के सभी शासकीय और अशासकीय स्कूलों में नए शैक्षणिक सत्र शुरू हो गए हैं. इसके बावजूद स्कूलों में बच्चों की सख्ंया कम हैं. इसके साथ ही शुरू हो गर्मी के मौसम के चलते भी बच्चे स्कूल आने में रूचि नहीं दिखा रहे हैं. लिहाजा या तो स्कूल के क्लास रूम खाली पड़े हैं या स्कूल में समय से पहले ही ताले लग जाते है. वहीं शिक्षक भी बच्चों का इंतजार करते-करते वे भी घर के लिए निकल जाते है.

शहर तो शहर ग्रामीण क्षेत्रों में हालात और भी खराब है. स्कूलों में बिजली व्यवस्था नहीं होने के कारण बगैर पंखों के बैठना काफी मुश्किल है. बच्चों के साथ ही ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षक की स्थिति भी काफी खराब है. अशासकीय स्कूलों में तो दबाव बनाकर बच्चों को बुलाया जा रहा है लेकिन शासकीय स्कूलों में बच्चे पहुंच ही नहीं रहे हैं. शासन के निर्धारित मापदंड के अनुसार शिक्षक समय पर स्कूल तो खोल रहे हैं, लेकिन बच्चों के न आने के कारण कक्ष खाली पड़े रहते है. वहीं अधिकांश बच्चे गर्मी की छुट्टियां मनाने अपने रिश्तेदारों के यहां भी जा चुके हैं.

शासकीय और अशासकीय स्कूल

अभिभावकों का कहना है कि अप्रैल महीने में छोटे बच्चों के लिए स्कूल संचालन का कोई औचित्य नहीं है. जहां अप्रैल में गर्मी की शुरुआत हो जाती है वहीं जून में भीषण गर्मी रहती है. इसलिए स्कूलों का संचालन 1 जुलाई से ही होना चाहिए. वहीं इस तरह के नियमों के चलते निजी स्कूल संचालकों द्वारा जून माह से ही शुल्क लेना शुरू कर दिया जाता है जबकि पहले शैक्षणिक सत्र जुलाई से माना जाता था.

इस संबंध में एपीसी विक्रमसिंह पंवार से बात की गई तो उन्होंने बताया कि यह सही बात है कि अभी गर्मी ज्यादा पड़ रही है शासन के इस माह में स्कूल खोलने के आदेश है हमारे द्वारा स्कूल आने के बच्चों को प्रेरित किया जाएगा. बता दें कि नई प्रक्रिया के तहत अप्रैल माह में सभी शासकीय व अशासकीय स्कूलों का संचालन आरम्भ किया गया था. इसके तहत स्कूलों में प्रवेश प्रक्रिया भी आरम्भ हो गई थी.

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