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आगर में आखिरी बार 1998 में जीती थी कांग्रेस, 22 साल बाद फिर वापसी

बीजेपी के दबदबे वाली सीट आगर मालवा में इस बार कांग्रेस से विपिन वानखेड़े जीते हैं. देर रात उन्हें प्रमाण पत्र दिया गया.

Congress candidate Vipin Wankhede
कांग्रेस प्रत्याशी विपिन वानखेड़े

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Published : Nov 11, 2020, 11:41 AM IST

आगर-मालवा।आगर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी विपिन वानखेड़े ने जीत हासिल की है. 22 साल के लंबे इंतजार के बाद आगर सीट पर कांग्रेस पार्टी ने अपनी जीत हासिल की है. मंगलवार को आए उपचुनाव के नतीजों में कांग्रेस प्रत्याशी विपिन वानखेड़े ने अपने प्रतिद्वंद्वी भाजपा के मनोहर ऊंटवाल को 1998 वोटों से शिकस्त दी है. ऐसे में अब आगर से विपिन वानखेड़े विधायक होंगे. मंगलवार को आगर विधानसभा के लिए बनाए गए मॉनिटरिंग ऑफिसर ने वानखेड़े को देर रात प्रमाण पत्र दिया.

मध्यप्रदेश में भले ही कांग्रेस अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं दिखा पाई हो, लेकिन कांग्रेस ने आगर विधानसभा में अपना बेहतरीन प्रदर्शन दिखाया है. बीजेपी के गढ़ को कांग्रेस ने अपने खेमे में कर लिया है. सुबह से जारी मतगणना में वानखेड़े शुरुआती दौर से ही आगे रहे. एक-दो राउंड को छोड़ दें, तो बाकी सभी राउंडों में कांग्रेस ही आगे रही.

1998 के बाद अब कांग्रेस के हाथ आई ये सीट

आगर विधानसभा सीट बीजेपी की पारंपरिक सीट रही है. यहां से कांग्रेस पार्टी ने सिर्फ तीन बार ही जीत दर्ज की है. आखरी बार इस सीट पर 1998 में कांग्रेस के रामलाल मालवीय विजयी हुए थे. उसके बाद आगर विधानसभा पर लगातार पांच बार बीजेपी के विधायकों ने राज किया और अब 22 साल बाद दोबारा कांग्रेस ने आगर विधानसभा पर वापसी की है.

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बीजेपी से विधायक रहे मनोहर ऊंटवाल के निधन से आगर सीट रिक्त हुई थी. यहां बीजेपी ने मनोहर ऊंटवाल के पुत्र मनोज ऊंटवाल को अपना प्रत्याशी बनाया था. वहीं कांग्रेस ने NSUI प्रदेश अध्यक्ष को दूसरी बार इस सीट से मौका दिया था. ऐसे में कांग्रेस प्रत्याशी ने इस मौके को भुनाते हुए जीत हासिल की.

यह सीट बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा की थी. सीएम शिवराज यहां पांच बार चुनावी प्रचार के लिए आ चुके थे, लेकिन शिवराज की मेहनत यहां रंग नहीं लाई. वहीं कांग्रेस की ओर से सिर्फ एक बार पूर्व सीएम कमलनाथ की एक बार ही बड़ौद क्षेत्र में सभा हुई थी. इसी के साथ कुछ और कांग्रेस नेता एक-दो बार यहां पहुंचे थे. हालांकि कांग्रेस के बड़े नेता इस सीट पर कोई खास प्रभाव नहीं छोड़ पाए. खुद कांग्रेस प्रत्याशी ने कड़ी मेहनत कर यह जीत हासिल की है.

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