आगर।कोरोना वायरस के बीच भारत और चीन की सीमा विवाद ने देश के सैनिकों के साथ आम नागरिक के मन में देश प्रेम के लिए समर्पण की भावना को और बढ़ा दिया है. यही कारण है कि चीन को मुंह तोड़ जवाब देने के लिए देश के लोगों ने चीनी वस्तुओं का बहिष्कार किया है. इसी कड़ी में आगर जिले में आगामी त्योहार रक्षाबंधन को देखते हुए सभी ने कमर कस ली है. जहां शहर में 100 से अधिक फुटकर थोक व्यापारियों द्वारा स्वदेशी राखियां बेची जा रही हैं.
स्वदेशी राखियों से सजा बाजार भाई-बहन के रिश्ते के पर्व रक्षाबंधन की तैयारियां नगर में शुरू हो गई हैं. जिसके लिए राखियों से बाजार सज गए हैं, वहीं बाजारों में नई डिजाइनों वाली राखियां बहनों को लुभा रही है, लेकिन इस बार दुकानदारों ने चायनीज राखियां नहीं बेचते हुए सिर्फ स्वदेशी राखियां ही बेचने का निर्णय लिया है. इससे देश का पैसा देश में रहेगा.
25 तरह की स्वदेशी वैरायटी
शहर के दुकानदारों के पास 25 से अधिक विभिन्न प्रकार की स्वदेशी राखियों की वैरायटी हैं. व्यवसायियों के पास धार्मिक तौर पर ओम, स्वतिक, चंदन, रूद्राक्ष वाली राखियां उपब्लध हैं, जो बहनों को बहुत अधिक पसंद आ रही हैं. इसके अलावा दुकानदारों के पास डायमंड, फैन्सी, रेशमी डोर वाली राखियां भी मौजूद है.
राखी दुकान में स्वदेशी राखी बाजार में 2 रुपए से लेकर 300 रुपए तक की राखियां
रक्षाबंधन पर जहां पारम्पारिक राखियों की डिमांड है. इसके अलावा महिलाएं नई वैरायटी की फरमाइश करती है. इसे ध्यान में रखकर दुकानदाराें ने हर वैरायटीज की राखियां मंगवाई हैं. राखी विक्रेता प्रकाश भावसार ने बताया की बाजार में व्यापारियाें के पास 2 रुपए से लेकर 300 रुपए तक की राखियां उपलब्ध हैं. इसके अलावा सोने और चांदी की राखियों का क्रेज भी बरकरार है. रक्षाबंधन के लिए बाजार धीरे-धीरे तेजी पकड़ रहा है.
पूरे नगर में 100 से भी अधिक दुकानें, सभी पर स्वदेशी राखियां
कोरोना काल के बीच ही इस बार रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाएगा. कई दुकानों पर स्वदेशी राखियां देखी जा रही हैं. शहर में थोक व्यापारियों से लेकर फुटकर सभी को मिलाकर 100 से अधिक दुकानें राखियों से सजी हैं. इन सभी दुकानों पर खास बात ये है कि इन पर चीनी राखियों का बहिष्कार कर अबकी बार स्वदेशी राखियां बेची जा रही हैं. नगर के व्यवसायियों ने बताया कि स्वदेशी अपनाने के लिए प्रचार-प्रसार होना चाहिए. मीडिया के माध्यम से अब हमारे बच्चे चीन और पाकिस्तान की गतिविधियों को समझने लगे हैं. हमारे घर की बहन बेटी भी इस अभियान के साथ जुड़कर राखी और अन्य सामग्री भी स्वदेशी अपनाने में आगे आ रही है.
शहर के राखी बेचने वाले दुकानदार गुजरात, इलाहाबाद, इन्दौर, उज्जैन, नलखेड़ा, कानड़, राजस्थान के पिडावा में बनाई जाने वाली स्वदेशी राखियां ही बेच रहे है.