आगर-मालवा। गरीब तबके के बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलाने के उद्देश्य से सरकार अंग्रेजी माध्यम के 10 स्कूलों को अनुमित दी थी, लेकिन जिम्मेदारों की अनदेखी और प्रचार-प्रसार के अभाव में दस में से चार स्कूल बंद हो गए. गौर करने वाली बात ये है कि शिक्षा विभाग के जिम्मेदारों को इसकी जानकारी भी नहीं है.
दरअसल, सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए 2015 में अंग्रेजी माध्यम के प्राथमिक और माध्यमिक स्तर के 10 स्कूल खोले गए थे. इन स्कूलों में शुरू से ही न तो शिक्षकों की समुचित व्यवस्था की गई और न ही दूसरे संसाधन उपलब्ध करवाए गए. जिम्मेदारों की लापरवाही का नतीजा ये रहा कि चारों विकासखंड को मिलाकर खोले गए 10 में से 4 स्कूल बंद हो गए.
बता दें बंद हुए स्कूलों में नलखेड़ा विकास खंड के तीन और बड़ौद विकास खंड का एक स्कूल शामिल है. ये स्कूल सांसद के आदर्श गांव सुदवास में संचालित हो रहा था. बाकी जो स्कूल संचालित हो रहे हैं. उसमें भी दो से तीन कक्षाओं के बच्चों को एक साथ बैठाकर पढ़ाया जा रहा है. वहीं आगर विकासखंड के प्राथमिक विद्यालय हाटपुरा में एक से पांचवी तक 70 बच्चे, माध्यमिक घोसीपुरा में 9, छावनी में 19 बच्चे अंग्रेजी स्कूल में पढ़ रहे हैं. इसी तरह सुसनेर विकास खंड के सुसनेर शहर में 13 बच्चे, देहरिया सोयत में 27 और छापरिया में 29 बच्चे पढ़ रहे हैं.
इन स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों की भी व्यवस्था जिम्मेदारों द्वारा नहीं की गई है. जहां जुगाड़ के जरिए दूसरे स्कूलों के शिक्षकों को अंग्रेजी मीडियम के बच्चों को पढ़ाने के लिए भेज दिया गया. इतना ही नहीं इन स्कूलों के लिए अलग से भवन की व्यवस्था भी नहीं की गई है. जिसके चलते हिंदी-अंग्रेजी माध्यम के बच्चों को एक साथ पढ़ाया जा रहा है.