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देवी अहिल्याबाई ने कराई थी मंदिर की स्थापना, 26 बीघा शासकीय भूमि अतिक्रमण का शिकार - नीलकंठेश्वर

देवी अहिल्याबाई ने कई जिलों में मंदिर की स्थापना कराई थी, सभी मंदिर शासन के आधिपत्य में होने के बावजूद मंदिर की स्थिति जर्जर है. साथ ही 26 बीघा शासकीय भूमि लोगो के कब्जे में है, विधवा पुजारन ने जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराने के लिए शासन से मांग की है.

देवी अहिल्याबाई ने कराई थी मंदिर की स्थापना, 26 बीघा शासकीय भूमि अतिक्रमण का शिकार

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Published : Aug 1, 2019, 3:29 PM IST

आगर। इन्दौर रियासत की महारानी देवी अहिल्याबाई ने आगर जिलें के सुसनेर में कई जगहों पर शिव मंदिरो का निर्माण कराया था. वर्तमान में ये सभी मंदिर शासन के आधिपत्य में होकर धर्मस्व विभाग के अधीन है. कंठाल नदी के तट पर बसा हुआ एक अतिप्राचीन नीलकण्ठेश्वर महादेव का मंदिर स्थित है. यह मंदिर धर्मस्व विभाग के अधीन होने के बाद भी सालों से प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार बना हुआ है साथ ही इस मंदिर के लिए 26 बीघा शासकीय जमीन भी अतिक्रमणकारीयों के कब्जें में है. इस जमीन को मुक्त कराने के लिए मंदिर की पुजारन विधवा महिला रूकमाबाई और परिजन सालों से प्रशासन से मांग कर रहे है, लेकिन अभी तक मंदिर परिसर और कृषि की भूमि अतिक्रमण से मुक्त नही हो पायी है.

देवी अहिल्याबाई ने कराई थी मंदिर की स्थापना, 26 बीघा शासकीय भूमि अतिक्रमण का शिकार
धूमधाम से निकाली जाती है, नीलकंठेश्वर की शाही सवारीपिछले 60 वर्षो से शिव भक्त मंडल द्वारा भादौ के पहले सोमवार को शाही सवारी निकाली जाती है. इस वर्ष भी 19 अगस्त को सवारी निकाली जाएगी. देवी अहिल्याबाई द्वारा स्थापित यह मंदिर श्रावणमास के चलते श्रृद्धालुओें के लिए आस्था का केन्द्र बना हुआ है. लेकिन प्रशासन इस मंदिर पर ध्यान नही दे रहा है जिसके चलते मंदिर जीर्णशीर्ण अवस्था में है.इस मंदिर के आसपास ओंकारेश्वर महादेव मंदिर, जयेश्वर महादेव मंदिर, मनकामनेश्वर महादेव मंदिर भी स्थित है। इस कारण इसे पुराने समय में शिव का बाग भी कहा जाता था. ये सभी मंदिर भी धर्मस्व विभाग के उदासीनता का शिकार बने हुए है.मंदिर की शासकीय जमीन, जो लोगों के कब्जे में हैमंदिर की पुजारन और उनके बेटे दिनेश शर्मा ने बताया की 26 बीघा शासकीय भूमि नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर के नाम से शासकीय रिकार्ड में दर्ज है. इनमें से इन्दौर कोटा राजमार्ग पर मंदिर के नाम पर करीब 10 बीघा भूमि कृषि उपज मण्डी के कब्जे में है, इस बात की जानकारी प्रशासन को होने के बावजूद जमीन को कब्जे से मुक्त कराने की कोई ठोस पहल आज तक नही हो पायी है. दो वर्ष पहले न्यायालय में चल रहे एक प्रकरण में न्यायाधीश ने10 बीघा जमीन जरूर मुक्त करवाई है. वही शिव भक्त मंडल के अध्यक्ष कैलाशनारायण बजाज ने बताया कि कई बार प्रशासन को लिखित रूप से अवगत कराने के बावजूद, धर्मस्व विभाग मंदिर की ओर ध्यान नहीं दे रहा है.अतिप्राचीन होने के कारण मंदिर श्रध्दालुओं के लिए आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है. प्रशासन को इस ओर ध्यान देकर श्रध्दालुओं की आस्था का सम्मान करना चाहिए.

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