उज्जैन। पूरे देश में मुस्लिम समाज के लोग माहे रमजान का पर्व मना रहे हैं. इस पाक महीने में रोजा रखकर खुदा की इबादत की जाती है. ज्यादातर जगह अजान सुनकर या बम फोड़कर सेहरी और इफ्तारी के सही समय की जानकारी मिलती है. लेकिन महाकाल की नगरी उज्जैन में मुस्लिम समाज आज भी रमजान पुरानी परंपरा के अनुसार मना रहे हैं. हम बात कर रहे हैं सेहरी और इफ्तार के वक्त चलाई जाने वाली बारूद से भरी तोप की. उज्जैन में इसे एक दिन नहीं बल्कि पूरे महीने चलाया जाता है.
तोप में रमजान भर 3 किलो बारूद का होता है उपयोग: तोप खाना क्षेत्र में बनी 150 वर्ष पुरानी इस तोप में एक वक्त में 100 ग्राम बारूद उपयोग होता है. वहीं पूरे माह में करीब 3 किलो बारूद का उपयोग किया जाता है. उज्जैन के मोहम्मद मकसूद बताते हैं कि सालों पुरानी इस तोप का प्रयोग रमजान में किया जाता है. तोप के माध्यम से ही आज भी लोगों को सेहरी व इफ्तार के समय एकत्रित करने का संदेश देते हैं. उन्होंने बताया कि एक वक्त था जब तोप की आवाज पूरी नगरी में गुंजती थी. लेकिन अब इमारतें बन जाने से तोप की आवाज केवल 3 किलोमीटर के क्षेत्र में जाती है.