उज्जैन।उज्जैन में स्थित त्रिवेणी घाट पर मकर संक्रांति के अवसर पर मिट्टी का डैम बनाया गया था, जिसका एक हिस्सा सोमवार शाम को ढह गया. जल संसाधन विभाग ने डैम को बचाने के लिए रविवार की शाम को एक किनारे पर कट लगाकर पाइप डाले थे. लेकिन कान्ह नदी के पानी का बहाव तेज था जिसके चलते 24 घंटे के बाद ही डैम का कट वाला हिस्सा बह गया. इसका नतीजा यह हुआ कि कान्ह का गंदा पानी त्रिवेणी स्टापडैम लांघ कर गऊघाट होता हुआ रामघाट तक पहुंच गया और पूरी शिप्रा नदी एक बार फिर प्रदूषित हो गई. अब सवाल ये है कि कान्ह का दूषित पानी रामघाट तक पहुंच गया है, तो ऐसे में मौनी अमावस्या पर स्नान कैसे किया जाएगा.
दूषित पानी को रोकने के लिए बनाया था डैम
मकर संक्रांति के पर्व को देखते हुए प्रशासन ने स्नान के लिए श्रद्धालुओं को साफ पानी उपलब्ध कराने के लिए नर्मदा का पानी लिया था. इस पानी को कान्ह के प्रदूषित पानी से बचाने के लिए मिट्टी के दो डैम बनाया था. जल संसाधन विभाग ने राघौ पिपलिया क्षेत्र में नया मिट्टी का डैम तथा त्रिवेणी के पुराने मिट्टी के डैम का सुधार किया था. इस डेम की 13 जनवरी को ही मरम्मत की गई थी. कान्ह के पानी की आवक ज्यादा हो रही थी, जिसके चलते डेम बह गया.