उज्जैन। 73 वर्षीय पद्मश्री डॉ. किरण सेठ दिल्ली के राजघाट से अपनी साइकिल यात्रा शुरू कर करीब 1500 किलोमीटर का सफर तय करके उज्जैन पहुंचे. कहते हैं कि हौसले बुलंद हों और दिल में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो बढ़ती हुई उम्र भी रास्ते की रुकावट नहीं बन सकती. ऐसी ही एक मिसाल पेश कर रहे डॉ. किरण सेठ अब वापस दिल्ली तक का सफर तय करेंगे. इस यात्रा के दौरान करीब 2500 किलोमीटर का सफर तय करेगें.
डाॅ. किरण सेठ का साइकिल से भारत नापने का जज्बा पर्यावरण और सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा: डॉ. किरण सेठ ने बताया कि जब नई पीढ़ी मुझे साइकिल चलाते हुए देखती है, तो सोचते हैं इस उम्र में कैसे इतनी साइकिल चला लेते हैं. युवाओं को जागरूक करना है, उन्हें जोड़ना है तो पहले स्वंय से पहल करना होगी. आईआईटी दिल्ली में प्रोफेसर ने अपनी साइकिल यात्रा को लेकर कहा कि इस यात्रा के पीछे युवाओं में स्वास्थ को लेकर जागरूकता आए. पर्यावरण का सुधार और स्पीक मैके के कल्चर से हर बच्चे को जोड़ना है. वही डॉ. सेठ का मानना है कि यात्रा के लिए कोई आधुनिक साइकिल की जरुरत नहीं है. वे दिसंबर में पांडिचेरी से चेन्नई तक साइकिल यात्रा कर चुके है.
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स्पीक मैके के संस्थापक है डॉ. किरण सेठ: 11 मार्च 2022 को राजघाट नई दिल्ली पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देते हुए उन्होनें अपनी साइकिल यात्रा का आरंभ किया. भारत की गौरवशाली विरासत को युवा पीढ़ी में पहुंचाने एवं देशवासियों में साइकिल के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने के उद्देश्य के तत्पश्चात अलवर, जयपुर, अजमेर, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, अहमदाबाद, बड़ौदा, दाहोद, गोधरा, पेटलावद, बदनावर, बड़नगर होते हुए 1500 किलोमीटर की यात्रा कर उज्जैन पहुंचे डॉ. सेठ उज्जैन में 3 दिनों तक विभिन्न शिक्षण संस्थानों में छात्र, छात्राओं से रूबरू होंगे.
साइकिलिंग का महत्व बताया: डाॅ. सेठ ने बताया कि करीब 50 दिनों की यात्रा के दौरान उन्होनें प्रतिदिन 40 से 45 किलोमीटर का सफर साइकिल से तय किया. स्पीक मैके के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य पंकज ने बताया कि साइकिल यात्रा का मुख्य उद्देश्य युवाओं में सादगी एवं अनुशासन का संदेश देना एवं पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए साइकिलिंग का महत्व बताना है. पद्मश्री डॉ. सेठ के अनुसार जिंदगी जीने के लिए भौतिक सुख-सुविधाओं की आवश्यकता नहीं है, सादगी में ही जीवन के गूढ़ रहस्य छिपे हैं.