उज्जैन। महाकाल की नगरी में बीते कई वर्षों से गणेश उत्सव के अंतिम दिन अनंत चतुर्दशी पर झांकियां निकालने की परंपरा को आज भी लोग बड़े हर्ष उल्लास के साथ निभा रहे हैं .लेकिन चार दशक पहले और अब की झांकियों में काफी फर्क देखा गया है. पहले कपड़ा मिल व अन्य बड़े उद्योगों के कारण झांकियों में अलग रोनक हुआ करती थी. अब उद्योग बंद हो जाने से झांकियों में भी कमी देखी जा रही है. कुछ सरकारी विभाग और सामाजिक संस्थाओं की झांकियां इस परमपरां को निर्वहन कर रही हैं. देर रात तक झांकिया निकली उसमें मुख्य आकर्षण का केंद्र पीएचई विभाग की झांकी रही. जो जल बचाव का खास संदेश दे रही थी.
लोगों ने झांकियों में दिखाए कर्तब:झांकियों के साथ साथ डीजे की धुन पर भगवान के भजनों पर झूमते नाचते गाते हुए लोग नजर आए. साथ ही वर्षो पुरानी लट्ठ, तलवार घुमाने की परंपरा को भी आम जन की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सावधानी पूर्वक घुमाकर निभाया गया. पुलिस व प्रशासनिक व्यवस्थायों के बीच रात भर ये चल समारोह चलता रहा. सुबह 4 से 5 बजे भगवान गणेश की प्रतिमाओं को विसर्जन किया गया.