उज्जैन। भगवान शिव का सबसे प्रिय महीना सावन (Sawan 2022) महीना चल रहा है. यह महीना शिवभक्तों के लिए विशेष फलदायी होता है. भक्तों की श्रद्धा भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान भोलेनाथ ने केवल मनुष्यों पर ही नहीं बल्कि पशु पक्षियों, देवी देवताओं पर भी उपकार किया है. इन सबका प्रमाण है शिव का आभूषण. फिर चाहे सिर में चंद्रमा हो, गले में लिपटा सांप हो या जटाओं में मां गंगा हों. शिव के इन सभी आभूषणों का रहस्य क्या है. किस आभूषण से कौन सा जुड़ा है रहस्य. इन सब बातों को आज हम आपको बताएंगे.(Ornaments of Lord Shiva)
शिव की जटाओं में क्यों है गंगा का वास:शिव पुराण में वर्णित है कि अपने पूर्वजों के आत्मा की शांति के लिए इक्ष्वाकु वंश के राजा भगरीथ ने गंगा को पृथ्वी पर लाने के लिए कठोर तप किया था. राजा भगीरथ की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर मां गंगा पृथ्वी में आने के लिए तैयार हो गईं, लेकिन मां गंगा ने कहा कि उनका वेग इतना तेज है कि पृथ्वी में भयंकर तबाही मचेगी. पृथ्वीवासी उनका गति सहन नहीं कर पाएंगे. जिसके बाद राजा भगीरथ ने भगवान शंकर की आराधना की. राजा भगीरथ की आराधना से प्रसन्न होकर देवाधिदेव महादेव ने मां गंगा को धारण कर लिया और मां गंगा की केवल एक धारा को पृथ्वी पर भेजा.(shiv ganga importance)
चंद्रमा का रहस्य:भगवान शिव को चंद्रशेखर भी कहते हैं. यानि जिसके शिखर में चंद्रमा का निवास हो. लेकिन, क्या आपको पता है कि शिव ने अपने शीष में चंद्रमा क्यों धारण किया है? वैसे तो शिव के हर आभूषण का अपना महत्व है, लेकिन क्या आपको इनके रहस्यों के बारे में पता है. चलिए आज हम आपको बताते हैं कि भगवान भोलेनाथ के सिर में विराजमान चंद्रमा को लेकर क्या कुछ रहस्य और मान्यताएं हैं.
पौराणिक कथाओं के अनुसार सृष्टि के रचयिता परमपिता ब्रह्मा के पुत्र प्रजापति दक्ष ने अपनी 27 कन्याओं का विवाह चंद्रमा के साथ किया था. दक्ष की इन कन्याओं में रोहिणी सबसे खूबसूरत थीं और चंद्रमा रोहिणी से ही अत्यधिक प्रेम करते थे. रोहिणी के प्रति चंद्रमा का अत्यधिक स्नेह देखकर बाकी कन्याओं ने अपने पिता दक्ष से इस पीड़ा को बताया. जिसके बाद क्रोध में आकर दक्ष ने चंद्रमा को क्षय रोग का शाप दे दिया.
चंद्रमा को शाप से दिलाई मुक्ति:दक्ष प्रजापति के शाप के कारण चंद्रमा की सारी कलाएं धीरे-धीरे कम होने लगीं और उनका शरीर क्षीण होने लगा. तभी नारद ने चंद्रमा को भगवान शिव की आराधना करने को कहा, जिसके बाद चंद्रमा और उनकी पत्नियों ने मिलकर भगवान आशुतोष की आराधना की. चंद्रमा की आराधना से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने चंद्रमा को आश्वस्त किया कि प्रजापति दक्ष कोई साधारण व्यक्ति नहीं है. उनके शाप से मुक्ति पाना असंभव है, जिसके बाद शिव ने मध्य का रास्ता निकाला और चंद्रमा से कहा कि तुम कृष्ण पक्ष में शाप के प्रभाव के कारण क्षीण होते जाओगे. अमावस्या पर पूरी तरह गायब हो जाओगे, लेकिन शुक्ल पक्ष में तुम्हारा चंद्रमा का उद्धार होगा और पूर्णमासी को पूर्ण तेज रहेगा. यही वजह है कि चंद्रमा का आकार घटता बढ़ता रहता है.
चंद्रमा का दूसरा रहस्य:वहीं चंद्रमा को लेकर एक दूसरी मान्यता यह भी प्रचलित है कि जब देवताओं और असुरों ने समुद्र मंथन किया था तब 14 रत्नों के साथ विष भी निकला था. सृष्टि को विष से बचाने के लिए भगवान शिव ने विष का पान किया था, जिसके कारण उनका शरीर तेज गर्म हो गया और कंठ नीला पड़ गया. इसके बाद शिव को शीतलता प्रदान करने के लिए चंद्रमा ने भगवान भोलेनाथ से उन्हें धारण करने का निवेदन किया. इसके बाद भगवान शिव ने चंद्रमा के निवेदन को पहले तो अस्वीकार कर दिया, लेकिन बाद में देवताओं के कई बार आग्रह पर शिव ने चंद्रमा को अपने सिर में धारण कर लिया.