ईटीवी भारत डेस्क :रंगो का त्योहार होली चैत्र मास, कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को खेला जाता है, जबकि उससे एक दिन पहले फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन किया जाता है. इस बार होलिका दहन 17 मार्च गुरुवार को किया जाएगा. वहीं होलिका दहन (Holika dahan 17 march 2022) के दूसरे दिन यानी शुक्रवार को होली का त्योहार मनाया जाएगा.
होलिका दहन की मान्यता
होली से एक दिन पहले होलिका दहन करने की परंपरा है. ऐसी मान्यता है कि हिरण्यकश्यप ने बहन होलिका को अपने बेटे विष्णु भक्त प्रह्राद को मारने का आदेश दिया था. कहा जाता है कि होलिका को एक वरदान प्राप्त था जिसके चलते वह आग से नहीं जल सकती थी. इस वरदान के कारण वह प्रह्लाद को गोद में लेकर जलती हुई लड़की पर बैठ गई, ताकि उस आग में प्रह्लाद की मृत्यु हो जाए, लेकिन तब भी प्रह्लाद विष्णु नाम का जप करते रहे. भगवान विष्णु की कृपा से भक्त प्रह्राद बच गए और होलिका उस आग में जलकर मर गई. जिसके बाद से होलिका दहन का त्योहार मनाया जाता है.
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शास्त्रानुसार होलिका दहन में भद्रा टाली जाती है किंतु भद्रा का समय यदि निशीथकाल के बाद चला जाता है तो होलिका दहन (भद्रा मुख को छोड़कर) भद्रा पूंछ काल या प्रदोष काल में करना श्रेष्ठ बताया गया है. निशीथोत्तरं भद्रासमाप्तौ, भद्रामुखं त्यकतवा भद्रायामेव.
पुराणों के अनुसार भद्रा सूर्य की पुत्री और शनिदेव की बहन है. भद्रा क्रोधी स्वभाव की मानी गई हैं.उनके स्वभाव को नियंत्रित करने भगवान ब्रह्मा ने उन्हें कालगणना या पंचांग के एक प्रमुख अंग विष्टिकरण में स्थान दिया है. भद्राकाल से पहले अगर पूर्णिमा तिथि समाप्त हो रही हो तो धर्म सिंधु के एक नियम के अनुसार जिस दिन प्रदोष काल में पूर्णिमा हो उस दिन भद्रा मुख काल को छोड़कर होलिका दहन कर लेना चाहिए. इसी नियम के अनुसार साल 2022 में होलिका दहन का शुभ मुहूर्त (Holika dahan time) इस प्रकार रहेगा.
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