उज्जैन।सांदीपनि आश्रम में भगवान श्री कृष्ण सुदामा और बलराम ने गुरु सांदीपनि से शिक्षा अर्जित की थी, इसी के चलते हर गुरु पूर्णिमा पर भगवान सांदीपनि के आश्रम में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचकर दर्शन करते हैं. पिछले दो वर्ष में कोरोना संक्रमण की पाबंदियों के कारण गुरू पूर्णिमा पर आश्रम में श्रद्धालुओं की एंट्री को प्रतिबंधित कर रखा था, अब कोरोना प्रतिबंध हटने के बाद बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचने की संभावना है. (Guru Purnima 2022) (sandipani ashram in ujjain)
उज्जैन सांदीपनि आश्रम से ली थी श्री कृष्ण ने शिक्षा भगवान का पूजन कर बच्चे ग्रहण करते हैं शिक्षा :उज्जैन की सांदीपनि आश्रमपंडित रूपम व्यास ने बताया कि "गुरू पुर्णिमा पर्व पर भगवान का विधि विधान से पूजन के पश्चात महाआरती होती है, इस दौरान प्रसाद वितरण किया जाता है. यहां श्री कृष्ण, सुदामा और बलराम ने 64 दिन में 64 कलाओं का ज्ञान अर्जित किया था. महात्वपूर्ण बात यह है कि गुरू पुर्णिमा के दिन छोटे बच्चों का पाटी पूजन होता है, जिसे विद्या, बुद्धी संस्कार भी कहा जाता है. पाटी पूजन 16 संस्कारों में से एक है, गुरू के समक्ष पाटी रखकर बच्चों से पाटी का पूजन कराया जाता है. गुरू पूर्णिमा पर्व पर भगवान श्री कृष्ण, बलराम और सुदामा की प्रतिमा का अभिषेक पूजन कर बच्चों को संस्कार की शिक्षा दी जाती है."
भगवान ने 64 दिन में सीखी थीं 64 कलाएं:आश्रम के पुजारी रूपम व्यासने बताया कि"शास्त्रों की मान्यता के अनुसार, श्री कृष्ण मथुरा से यहां पहुंचे थे और उन्होंने सांदीपनि आश्रम में गुरु सांदीपनि से विद्या और कलाएं सीखी थीं. शास्त्रों में उल्लेख है कि भगवान श्रीकृष्ण और भाई बलराम ने यहां 64 दिन रह कर 64 कलाएं और विद्याएं सीखी थीं. आश्रम से शिक्षा ग्रहण करने के दौरान उन्होंने नारायणा में कालगणना की थी, वहां रखी मौली इसका प्रतीक है. उज्जैन से 35 किलोमीटर दूर नारायणा गांव है, जहां भगवान श्री कृष्ण, सुदामा और बलराम तीनों लकड़ी लेने जाते थे. वहीं गुरु सांदीपनि स्नान करने के लिए गोमती नदी जाया करते थे, जिसे देख भगवान श्री कृष्ण ने सांदीपनि आश्रम में ही गोमती कुंड बना दिया था, जिसमें गुरु सांदीपनि स्नान करते थे और भगवान श्री कृष्ण शिक्षा के दौरान अपनी पट्टी लेख को धोया करते थे. श्रीकृष्ण उज्जैन से लौटने के बाद ही द्वारकाधीश के नए स्वरूप में उभरे थे, जिसके बाद वह पूर्ण अवतार कहलाए."
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इसलिए कही जाती है श्री कृष्ण की शिक्षा स्थली:महर्षि सांदीपनि आश्रम में भगवान श्री कृष्ण बलराम और सुदामा ने कलाओं का ज्ञान अर्जित करने के लिए उज्जैन में 64 दिन रूके थे, 5000 वर्ष पुराना इस मंदिर को आज भी भगवान श्री कृष्ण और सुदामा और बलराम की दोस्ती के साथ-साथ गुरु सांदीपनि के द्वारा दी गई शिक्षा के लिए भी जाना जाता है. यही कारण है कि इसे श्री कृष्ण की शिक्षा स्थली कहा जाता है.