उज्जैन। कहते हैं मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं है. इस बात को साबित किया है उज्जैन के रहने वाले सुधीर भाई ने, जो पिछले कई वर्षों से अपने सेवाधाम आश्रम (Ujjain Sewadham Ashram) में 315 ऐसे बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं, जिनका ना घर है ना ठिकाना. सुधीर भाई ने ऐसे लोगों को अपनाया, जिन्हें हर किसी ने दुत्कार दिया. सुधीर भाई के सेवाधाम आश्रम में ऐसे बच्चें हैं, जिनके परिजन नहीं हैं या घर से प्रताड़ित किए गए हैं. (Fathers Day Special)
एक परिवार है सेवाधाम आश्रम:शहर से 15 किलोमीटर दूर सेवाधाम आश्रम के संस्थापक सुधीर भाई गोयल (Sudhir Bhai Goyal) और उनका परिवार सेवाधाम आश्रम में रहने वाले सभी अनाथ बच्चों की देखभाल करते हैं. सुधीर भाई गोयल ऐसे अनोखे पिता है जो मरने के बाद भी अपने 315 से अधिक बच्चों और इस आश्रम में मौजूद 700 से ज्यादा सदस्यों की देखरेख के लिए सेवाधाम आश्रम में ही रहना चाहते हैं. सुधीर भाई गोयल ने इस आश्रम में ही मृत्यु उपरांत भी आश्रम की चौकीदारी करने के लिए अपना स्थान तय कर अपनी चिता के लिए चबूतरा बनवा लिया है. उनकी अंतिम इच्छा यही है कि मौत के बाद भी वे इस आश्रम में रहकर अपने सारे बच्चों की देखरेख कर सके. (Sudhir Bhai takes care 315 Orphan Children)
कौन हैं सुधीर भाई गोयल:सुधीर भाई का पुरा नाम सुधीर गोयल है, जिनकी पत्नी का नाम कांताजी है. उनकी दो बेटियां एक गौरी और एक मोनिका हैं, जो सुधीर भाई के साथ बच्चों की देख-रेख करते हैं. सुधीर भाई पिछले कई सालों से आश्रम में दिव्यांग, नशे में लिप्त, लावरिस, प्रताड़ित, भटके हुए बच्चे, बुजुर्ग व युवाओं को संभाल रहे हैं. सुधीर भाई के सेवाधाम आश्रम में रहने वाला हर शख्स एक परिवार के सदस्य की तरह रहता है. यहां जाति-धर्म-मजहब नहीं देखा जाता है. यहां सब एक समान हैं, एक साथ खाना खाते हैं, एकसाथ रहते हैं, खेलते हैं, गो सेवा करते हैं. इसके अलावा सिलाई, कढ़ाई, बुनाई, कंप्यूटर, हस्तशिप व अन्य कलाओं में निपुण हो रहे हैं.
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315 बच्चों और बुजुर्गों को दिया अपना नाम: ग्राम अंबोदिया में स्थित सेवा धाम आश्रम के संस्थापक सुधीर भाई गोयल की उम्र 65 साल है, लेकिन वे 84 साल तक के बुजुर्गों के पिता हैं. शासकीय रिकॉर्ड के अनुसार इस आश्रम में रहने वाले 315 लोगों के आधार कार्ड पर सुधीर भाई गोयल का नाम धर्म पिता के रूप में दर्ज है. उन्होंने इस आश्रम में उन लोगों को और बच्चों को रखा है जो सड़क पर बीमार पड़े मिलते हैं, या फिर मरणासन्न अवस्था में लावारिस हालत में जीवन जी रहे हों. इसके अलावा दिव्यांग शोषित पीड़ित, मनोरोग विक्षिप्त, गर्भस्थ माताओं के दिव्यांग बच्चों को ये एहसास ना हो कि उनके सिर पर पिता का साया नहीं है इसलिए सुधीर ने ऐसे 315 बच्चों और बुजुर्गों को अपना नाम दिया है.
सुधीर भाई ने बेटियों का किया कन्यादार:आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि आश्रम में बड़े हुए बच्चों की शादी भी सुधीर भाई ने करवाई है. उज्जैन में सुधीर भाई ने दो बेटियों का कन्यादान किया, जो नारी निकेतन की बेटियां थी. आज उनके बच्चे सुधीर भाई को नाना कहते हैं. सुधीर भाई ने 10 वर्षों से जंजीरों में जकड़े युवक को मुक्त कराया. वह युवक मानसिक स्थिति से उबरते हुए आश्रम में गो सेवा करता है. एक बच्ची है, जिसकी उम्र 15 वर्ष है और वह डॉक्टर बनना चाहती है. वह बच्ची जंगल में मिली थी. सुधीर भाई उस बच्ची की पढ़ाई-लिखाई की पूरी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं.
सुधीर भाई मरने के बाद भी करना चाहते हैं सेवा: सुधीर भाई बताते हैं कि आश्रम में बच्चों को चाय, नाश्ता, दूध, फल, भोजन समय पर बिना किसी भेदभाव के दिया जाता है. यहां रहने वाले 20 राज्यों से अधिक के लोग हैं. सबकी अपनी-अपनी भाषा है, लेकिन सभी में अटूट प्रेम है. आपने सुना ही होगा कि लोग अपनी मौत के पहले बटवारें, वसीयत की बाते करते है लेकिन उज्जैन के सुधीर भाई गोयल ने जिंदा रहने के दौरान ही अपनी चिता के लिए सेवा धाम आश्रम के मुख्य गेट के सामने चबूतरा बनवा लिया है. सुधीर भाई की अंतिम इच्छा के अनुसार उन्होंने आश्रम के गेट के पास अपनी मृत्यु के बाद के लिए एक चबूतरा बनवाया और बताया की इसी जगह पर मुझे दफनाया या अग्नि दी जाए. ताकि मरने के बाद भी इसी आश्रम में रहकर मैं बेसहारों का सहारा बनूं.