उज्जैन:उज्जैन में जहरीली शराब कांड के तीन माह बाद ठीक ऐसा ही मामलामुरैना से सामने आया है, जिसमें जहरीली शराब ने 14 जिंदगियों को निगल लिया और 6 लोग अस्पताल में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं. इस मामले में सीएम शिवराज ने कहा कि जांच के तथ्य अभी आने हैं, लेकिन इतना पक्का है कि दोषी छोड़े नहीं जाएंगे, हम कठोर कार्रवाई करेंगे. महाकाल की नगरी उज्जैन में 14 अक्टूबर को से शुरू हुई जिंजर शराब कांड की कहानी 14 लोगों की मौत पर जाकर खत्म हुई थी. इस मामले की जांच करीब दो माह तक चली पुलिस अधिकारियों ने 60 दिनों में 1 हजार 571 पेज का चालान कोर्ट में पेश किया और कुल 18 आरोपी बनाए गए. कोर्ट में सुनवाई के दौरान 170 गवाह जज के सामने पेश हुए थे.
एसआईटी का गठन
इतने बड़े घटनाक्रम को सीएम शिवराज सिंह ने संज्ञान में लिया और तत्काल भोपाल में एसआईटी का गठन किया और उज्जैन भेजा. एसआईटी की जांच रिपोर्ट में 12 मौत सामने आई. एसआईटी में शामिल तत्कालीन प्रमुख सचिव राजेश राजौरा की अध्यक्षता में एडीजी एसके झा, सहित डीआईजी सुशांत सक्सेना उज्जैन पहुंचे थे. इस मामले में कुल 18 मौतें हुई थी, जिसमें से 14 की पुष्टि एडीएम नरेंद्र सूर्यवंशी ने की थी. रिपोर्ट तैयार करने के बाद एसआईटी अधिकारियों ने तत्कालीन एसपी मनोज कुमार सिंह, एडिशनल एसपी रूपेश त्रिवेदी का ट्रांसफर कर दिया गया था. वहीं आबकारी उपनिरीक्षक सुनीता मालवीय, आरक्षक रोहित लोहरिया को निलंबित कर दिया था और नगर निगम सहायक अधिकारी केसी अग्निहोत्री तबादला भी किया गया था. सहायक आयुक्त सुबोध जैन को निलंबित किया था, सीएसपी रजनीश कश्यप को सस्पेंड कर दिया गया था इससे पहले एसपी मनोज कुमार सिंह ने भी तत्कालीन थाना प्रभारी एमएल मीणा, एसआई निरंजन शर्मा व अन्य रक्षकों को सस्पेंड किया था.
कहां से हुई शुरुआत कहां हुई छापामार कार्रवाई
छत्री चौक से इस मामले की शुरुआत हुई थी. यहां निगम के पुराने खंडहर में शराब बनाई जा रही थी. जांच के दौरान टीम को कुल 500 लीटर करीब शराब, 11 लीटर स्प्रिट, 25 लीटर हाथ भट्टी शराब, 1200 किलो महुआ पूरे मामले के बाद अलग-अलग जगह से पकड़ी थी. मेडिकल स्टोर और कराखानों पर भी कार्रवाई हुई थी. जहरीली शराब मामले में सबसे बड़ा खुलासा खाराकुंआ थाने के सामने पिंजरवाडी से हुआ था यहां वर्षों से शराब बनाई जा रही थी.
निगमकर्मी देते थे ट्रेनिंग