मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ETV Bharat / city

ETV भारत पर देखिए, रंग उज्जैनी, मैं खामोश उज्जैन हूं...

लॉकडाउन में उज्जैन का एक नया रंग देखने को मिल रहा है. बाबा महाकाल की नगरी में ऐसा सन्नाटा पहले कभी नहीं देखा. जेसा अब दिख रहा है. ईटीवी भारत आपकों रेड जोन में आए इस ऐतिहासिक और धार्मिक शहर का एक नया रंग दिखाने जा रहा है. जो शायद ही इससे पहले आपने कभी देखा होगा.

ujjain news
रंग उज्जैनी

By

Published : May 7, 2020, 1:04 PM IST

उज्जैन। मैं उज्जैन हूं, वही उज्जैन जहां दिन की शुरुआत बाबा महाकाल की भष्म आरती के साथ बजते शंखनाद और डमरू की डमडम से होती है. ये सब तो आज भी हो रहा है, लेकिन इस लॉकडाउन में वो बात कहा, जो मुझे उज्जैन होने का एहसास कराती हो.

रंग उज्जैनी

महाकाल के दरबार में आज भी आरती होती है, लेकिन भक्तों की जय महाकाल की वो गूंज, जो मुझे खुशी से भर देती थी, अब सुनने को नहीं मिल रही. क्षिप्रा में हर दम श्रद्धालु स्नान के लिए पहुंचते थे. लेकिन के क्षिप्रा के ये सूने घाट मुझे खालीपन का एहसास कराते हैं

बाबा महाकाल मंदिर उज्जैन

टावर चौक से गोपाल मंदिर और रेलवे स्टेशन से लेकर घंटा घर. जहां हर वक्त आंदोलन, धरनों का दौर चलता था. सुबह से देर रात तक चाय की चुस्कियों पर राजनीति की बातें होती थीं. वहां अब पूरी तरह से खामोशी छाई रहती है जो मुझे अकेलेपन का एहसास कराती है.

क्षिप्रा नदी

कोरोना के कहर से हुए लॉकडाउन ने मेरा रंग बदला दिया है. खामोश सड़कें, चौराहों पर छाया सन्नाटा, और चारों तरफ फैली खामोशी, ये रंग उज्जैन का नहीं था. उज्जैन तो हर दम अलबेला और अलमस्त होकर अपनी बाहें फैला कर लोगों का स्वागत करता था. लेकिन क्या करूं, आज मजबूर हूं. मैं इतना शांत कभी नहीं रहा.

सूनी हुई उज्जैन की गलिया

मैंने हर्ष से भरे पर्व भी देखे है, राजनीति की बिसात मुझ से ही शुरु होती थी. राजनेता दावे वादे करके जीत का आशीर्वाद लेने महाकाल के दर पर आते थे. मैं सब का स्वागत खुले दिल से करता था. क्योंकि उज्जैन तो सबका था. वो फिलहाल सब बंद है. क्योंकि ये नया उज्जैनी रंग है.

सड़कों पर सन्नाटा

अगर देख सकते हो ये डगर, और पढ़ सकते हो मेरी नजर. तो इतना ही कहता हूं कि आज में बेहद शांत हूं. इतिहास में पहली बार मेरे अंदर ऐसा सन्नाटा छाया है, क्योंकि इस खामोशी के पीछे मुझे मेंरे अपनों की ही चिंता है. मुझे खुशी है मेंरे अपने भी मेरी चिंता करते हैं, तभी तो घरों में बैठे हैं. कोरोना मरीजों के इलाज में जुटे मेरे डॉक्टर, सड़कों पर हर वक्त चौकन्ने खड़े पुलिस के जवान और स्वच्छता में जुटे सफाईकर्मी. मुझे हारने नहीं देंगे.

घंटा घर उज्जैन
टावर चौक

लॉकडाउन के एक महीने से ज्यादा के वक्त में रंग उज्जैनी बदल गई है. मुझे रेड जोन में रखा है. क्या कंरू बाबा महाकाल की नगरी हूं. समुद्र मंथन के वक्त हलाहल भी बाबा महाकाल ने ही पिया था और जान बचाई थी. इसलिए अपनों को बचाने के लिए में भी अपनों के लिए ही तो लड़ रहा हूं.

घंटा घर उज्जैन

लेकिन काल भी उसका क्या करेगा, जहां महाकाल बैठें है. मैं एक बार फिर रफ्तार पंकड़ूंगा, टावर चौक से गोपाल मंदिर, और रेलवे स्टेशन से लेकर घंटा घर. हर जगह सबका स्वागत करूंगा और उज्जैन में फिर सुबह से लेकर रात, महाकाल का जयकारा गूंजेगा. क्योंकि मैं उज्जैन हूं. में रुकता नहीं हूं.

मुश्किल के इस दौर में हर दिन खिलाया जा रहा जरुरतमंदों को खाना

ABOUT THE AUTHOR

...view details