सतना।रैगांव विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है, जिसको लेकर अब सियासी सरगर्मी तेज हो गई है. कांग्रेस ने दोबारा से पूर्व प्रत्याशी कल्पना वर्मा पर भरोसा जताया, और उन्हें चुनावी रण में उतार दिया. 1977 में गठित हुई रैगांव विधानसभा सीट पर अब तक 10 बार चुनाव हो चुके हैं. नतीजों पर नजर डालें तो यहां बीजेपी का पलड़ा भारी है. इस सीट में 5 बार बीजेपी और 2 बार कांग्रेस का कब्जा रहा है. जबकि एक बार बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी ने अपना कब्जा जमाया था. इसके अलावा 2 बार अन्य दलों का कब्जा भी रहा है. हालांकि कांग्रेस का मार्जिन भी कुछ कम नहीं है. यही वजह है कि रैगांव विधानसभा सीट पर पेंच थोड़ा फंसा हुआ है.
कांग्रेस के लिए कल्पना वर्मा क्यों जरूरी
सतना जिले की रैगांव विधानसभा सीट की अगर बात करें तो आदिवासी और दलित मतदाता यहां पर सबसे अधिक हैं. कल्पना को रैगांव में कांग्रेस का लोकप्रिय चेहरा माना जाता है, वो चौधरी समाज से आती हैं. उन्हें कमलनाथ समर्थित माना जा रहा है. बसपा से चुनाव हारकर कांग्रेस में आई ऊषा चौधरी भी रैगांव सीट से टिकट की दावेदारी कर रहीं थीं. कल्पना और ऊषा दोनों ही चौधरी समाज से हैं लेकिन कल्पना को तवज्जो मिली. बताया जाता है कि कमलनाथ ने पहले ही कल्पना को चुनावी तैयारी के संकेत दे दिए थे.