सागर।अगर इरादे बुलंद हों तो गरीबी और लाचारी जैसे मुश्किलें पार करके भी अपना लक्ष्य हासिल किया जा सकता है. ऐसी ही कुछ कहानी है जिले के बीना तहसील के करौंदा गांव के रहने वाले विनोद रजक की. जिनका जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था और उनके परिवार का पालन पोषण मजदूरी करके होता था. विनोद रजक को बचपन से दौड़ने का शौक था और स्पोर्ट्स में कैरियर बनाना चाहते थे. गरीबी और पारिवारिक जिम्मेदारियों के चलते उनका सपना पूरा नहीं हो सका. विनोद अपने सपने को तो पूरा नहीं कर पाए, लेकिन उन्होंने अपनी दो बेटियों को खेल के क्षेत्र में बढ़ावा देने के लिए काफी संघर्ष किया और आज उनकी बेटियां मध्य प्रदेश सरकार के टैलेंट सर्च के माध्यम से मध्य प्रदेश खेल अकादमी का हिस्सा बन गयीं है और एथलेटिक्स में प्रशिक्षण हासिल कर रही हैं.
जिंदगी भर किया संघर्ष:विनोद रजक की पहचान दौड़ने के कारण थी. लेकिन परिवार की माली हालत ऐसी नहीं थी कि खेल के क्षेत्र में विनोद रजक कैरियर बना सकें. परिवार में तीन भाई थे और 1 एकड़ खेती परिवार की रोजी-रोटी का जरिया था. परिवार की सभी जरूरतें पूरी करने के लिए घर के सभी लोगों को मजदूरी करनी पड़ती थी. गरीबी और पारिवारिक जिम्मेदारियों के चलते विनोद रजक अपना सपना पूरा नहीं कर सके और अपने पिता की तरह खेती और मजदूरी कर जीवन यापन करने लगे.
खेल के प्रति बेटियों में देखा उत्साह, तो फिर जागी उमंग: विनोद रजक भले ही अपना सपना पूरा नहीं कर सके. लेकिन उनके मन में कहीं ना कहीं यह इच्छा दबी हुई थी. शादी के बाद विनोद रजक की तीन बेटियां और एक बेटा हुआ. जब वह अपने गांव में अपने बच्चों को घुमाने ले जाते और स्पोर्ट्स के बारे में बातचीत करते, तो उन्होंने देखा कि उनकी बेटियां खेल के क्षेत्र में काफी रुचि लेती हैं. विनोद रजक को लगा कि भले ही वह खेल के क्षेत्र में कैरियर नहीं बना पाए. लेकिन उनकी बेटियां अगर क्षेत्र में आगे बढ़ जाएं, तो उनका सपना एक तरह से पूरा हो जाएगा. विनोद ने सपने को पूरा करने की ठान ली और सीमित संसाधनों में खुद ही बेटियों के लिए दौड़ के लिए प्रशिक्षित करने लगे.
खेत में ही बना दिया रनिंग ट्रैक:विनोद रजक को अंदाजा था कि जो सपना अपनी बेटियों को लेकर देख रहे हैं, उसको साकार करना आसान नहीं हैं. आज के समय में खेल के क्षेत्र में उचित प्रशिक्षण और लगातार अभ्यास की जरूरत होती है. आधुनिक सुविधाओं के साथ-साथ भरपूर डाइट की भी महत्वपूर्ण होती है. उन्होंने अपनी दूसरे नंबर की बेटी आस्था और तीसरे नंबर की बेटी काजल में जब खेल के क्षेत्र में कैरियर बनाने की ललक देखी तो अपने एक एकड़ के खेत के चारों तरफ रनिंग ट्रेक तैयार कर लिया. उसी पर बेटियां दिन-रात प्रैक्टिस करने लगी. लगातार प्रैक्टिस के बाद बेटियों को भरपूर डाइट की आवश्यकता भी महसूस होती थी. लेकिन सीमित संसाधनों और गरीबी के चलते विनोद अपने घर की गाय का दूध और चने से बेटियों की डाइट की कमी को पूरा करते थे.