सागर।शारदीय नवरात्र 26 सितंबर से प्रारंभ होने वाली है. मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए भक्त नवरात्रि के अवसर पर पूजा अर्चना करते हैं. नवरात्रि के अवसर पर दुर्गा सप्तशती का पाठ काफी महत्वपूर्ण माना गया है. दुर्गा सप्तशती को मंत्रमय सिद्ध ग्रंथ के नाम से जाना जाता है. नवरात्रि के अवसर पर दुर्गा सप्तशती का पाठ करने पर हर मनोकामना पूरी होती है, क्योंकि दुर्गा सप्तशती का हर श्लोक एक तरह से मंत्र का काम करता है इसीलिए इसे मंत्रमय सिद्ध ग्रंथ कहते हैं. आइए जानते हैं ज्योतिषाचार्य श्याम मनोहर चतुर्वेदी से दुर्गा सप्तशती के बारे में, (Shardiya Navratri 2022)
वेदव्यास ने की थी दुर्गा सप्तशती की रचना:पंडित डॉक्टर श्याम मनोहर चतुर्वेदी बताते हैं कि दुर्गा सप्तशती सनातन धर्म का सिद्ध मंत्रमय ग्रंथ है. मार्कंडेय पुराण के 81 अध्याय से लेकर 93 अध्याय तक श्री चंडी देवी के महत्व का वर्णन किया गया है. इसे ही दुर्गा सप्तशती के नाम से जानते हैं. यह ऋषि वेदव्यास ने लिखा था. लोग मानते हैं कि इसकी रचना मार्कंडेय ने की थी, लेकिन यह भ्रांति है. मार्कंडेय पुराण की रचना ऋषि वेदव्यास ने की थी. (Recite Durga Saptashati On Navratri)
क्यों मंत्र का नाम पड़ा दुर्गा सप्तशती:पंडित श्याम मनोहर चतुर्वेदी बताते हैं कि इस मंत्र में ग्रंथ का नाम दुर्गा सप्तशती पड़ा क्योंकि इस ग्रंथ में 13 अध्याय हैं और 57 उवाच हैं. इसके साथ में 42 अर्धश्लोक हैं और 535 श्लोक हैं. अवधानानि श्लोक 66 हैं. कुल मिलाकर इनकी संख्या 700 होती है, इसलिए इसे सप्तशती कहा जाता है. अर्थात इस पूरे ग्रंथ को दुर्गा सप्तशती के नाम से जाना जाता है. (Navratri Puja Muhurat)