सागर।मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी स्मार्ट सिटी योजना (sagar smart city project) में 100 शहरों को चुना गया है, जिसमें एक मध्यप्रदेश का सागर भी शामिल है. जिसके तहत सागर शहर की ऐतिहासिक विरासत को सजाने और संवारने का जिम्मा सागर स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने उठाया है. शहर की ऐतिहासिक बावड़ियों को नया स्वरूप दिया जा रहा है जो आज से 400 से 500 साल पहले बनाई गई थीं. खास बात ये है कि इन बावड़ियों को उसी पद्धति से निखारा जा रहा है, जिस पद्धति से इनको तैयार किया गया था. करीब 500 साल पहले ऐतिहासिक इमारतों को सुर्खी, चूना, गुड़, उड़द और बेल के फल के विशेष मसाले से तैयार किया जाता था. आज इन बावड़ियों का संरक्षण इसी मसाले से हो रहा है क्योंकि ये मसाले इमारतों को टिकाउ बनाती हैं.
रखरखाव के अभाव में लुप्त होने की कगार पर पहुंच गईं हैं बावड़ियां
बुंदेलखंड में हमेशा पानी की समस्या रही है. पानी की समस्या को देखते हुए यहांं बड़े पैमाने पर तालाब और बावड़ियों का निर्माण किया गया था. जल संरक्षण के मामले में बावड़ियों का अपना एक अहम स्थान है. सागर में चार बावड़िया हैं जिनका उपयोग जल स्रोत के रूप में होता है. लेकिन रखरखाव के अभाव और पुरानी हो जाने से इनकी हालत खस्ता हो गई है और यह लुप्त होने की कगार पर पहुंच गई हैं. ऐसी स्थिति में सागर शहर को स्मार्ट सिटी मिशन में शामिल किए जाने के बाद सागर स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने हेरिटेज कंजर्वेशन के तहत इन बावड़ियों के संरक्षण और निखारने का बीड़ा उठाया है.