सागर। मध्यप्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा दिलाने में पन्ना टाइगर रिजर्व की अहम भूमिका है. जब पन्ना बाघविहीन हो गया था, तो मध्यप्रदेश का टाइगर स्टेट का दर्जा भी छिन गया था. लेकिन पन्ना टाइगर रिजर्व ने मध्यप्रदेश को टाइगर रिजर्व का दर्जा फिर वापस दिलवाया. आज वन्यप्राणी प्रेमी पन्ना टाइगर रिजर्व के भविष्य को लेकर चिंतित हैं, उन्हें चिंता सता रही है कि टाइगर रिजर्व का वजूद रह जाएगा या खत्म हो जाएगा. अगर पन्ना टाइगर रिजर्व का वजूद खत्म हो गया, तो टाइगर कहां जाएंगे.
डूब में आएगा पन्ना टाइगर रिजर्व का बड़ा हिस्सा: वन्यप्राणी प्रेमियों की चिंता की वजह भी वाजिब है. दरअसल केन बेतवा लिंक परियोजना के कारण पन्ना टाइगर रिजर्व का बहुत बड़ा इलाका डूब में आ रहा है. हालांकि परियोजना का काम अभी शुरू नहीं हुआ है लेकिन केंद्र सरकार द्वारा बजट आवंटित किए जाने से तय हो गया है कि परियोजना जब मूर्त रूप लेगी, तो पन्ना टाइगर रिजर्व का बहुत बड़ा हिस्सा डूब में चला जाएगा. हालांकि वन विभाग ने बाघों को बसाने उनके नए बसेरे तैयार करना शुरू कर दिये हैं. पन्ना टाइगर रिजर्व जब केन बेतवा लिंक के कारण डूब में आ जाएगा तो यहां के बाघों के लिए दो नए टाइगर रिजर्व तैयार हो जाएंगे.
क्या है केन बेतवा लिंक परियोजना:केन-बेतवा लिंक परियोजना का उद्देश्य मप्र और उप्र के बुंदेलखंड क्षेत्र में 10.62 लाख हेक्टेयर के लिए वार्षिक सिंचाई प्रदान करना,पेयजल आपूर्ति को बढ़ावा देना और 103 मेगावाट की पनबिजली उत्पन्न करना है. 1 फरवरी, 2022 को पेश हुए केंद्रीय बजट 2022-23 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नदियों को जोड़ने वाली महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए 44,605 करोड़ रुपए बजट आवंटन की घोषणा की. इस परियोजना से 62 लाख लोगों को पेयजल, 103 मेगावाट जलविद्युत और 27 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन के साथ करीब 9 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि को सिंचाई की सुविधा मिलने की उम्मीद है. परियोजना से 13 जिलों में फैले सूखा प्रभावित बुंदेलखंड क्षेत्र को लाभ मिलेगा. आठ साल में इस परियोजना का काम पूरा होने की संभावना है. केन और बेतवा लिंक परियोजना से मप्र में छतरपुर, टीकमगढ़, सागर, दमोह, दतिया, विदिशा,शिवपुरी,रायसेन और पन्ना और उत्तर प्रदेश में झांसी, महोबा, बांदा और ललितपुर शामिल हैं.
पन्ना टाइगर रिजर्व पर क्या पड़ेगा असर:पन्ना टाइगर रिजर्व की बात करें तो यहां बाघों की संख्या 50 से ऊपर है. 2009 में पन्ना टाइगर रिजर्व बाघ विहीन हो गया था. 2019 में विशेष प्रयासों के चलते ये संख्या 54 पहुंच गई थी. बाघों की बसाहट के लिए पन्ना टाइगर रिजर्व देश भर में मशहूर है. केन-बेतवा लिंक परियोजना के कारण टाइगर रिजर्व में बाघों की बसाहट का 10% से ज्यादा हिस्सा पानी में डूबने की संभावना विभिन्न अध्ययनों में सामने आई हैं. संभावना जताई जा रही है कि परियोजना के चलते बाघों की बसाहट का करीब 100 वर्ग किमी का हिस्सा खतरे में है. बाघों के आवास के साथ उनकी आवाजाही के रास्ते पर असर पड़ेगा. हालांकि इस परियोजना से बुंदेलखंड को सूखे की समस्या से राहत मिलेगी. लेकिन पन्ना टाइगर रिजर्व का बड़ा हिस्सा डूब जाएगा, जिसमें बाघों के आवास का प्रमुख इलाका भी है. वहां मौजूद जैव विविधता पर भी असर पड़ेगा. बाघों के अलावा सांभर, चीतल, चिंकारा और चौसिंघा जैसी प्रजातियों को खतरा है. विभिन्न अध्ययन में पता चला है कि बाघों और अन्य जीवों के अलावा करीब दो लाख पेड़ों को भी नुकसान होगा.