सागर।नगर निगम (Sagar Municipal Corporation Election) के महापौर पद का प्रत्याशी (Sagar mayor candidate) तय करने में कमलनाथ (Kamal Nath) ने बड़ा दांव खेला है. अपने इस दांव से कमलनाथ ने बीजेपी (BJP) को उलझा दिया है. बीजेपी ने 1993 के बाद विधानसभा में सिर्फ जैन नेता को ही प्रत्याशी बनाया है और ब्राह्मण समाज को मौका नहीं दिया है. बीजेपी की कोशिश है कि, 30 साल पुराना ब्राह्मण उपेक्षा का दाग धुल जाए, लेकिन ओबीसी आरक्षण (OBC reservation) का जंजाल उसके लिए परेशानी का सबब बन रहा है. कांग्रेस ( Congress) ने पहले ही जैन प्रत्याशी देकर भाजपा को परेशानी में डाल दिया है. इससे बाद भाजपा पर दबाव है कि वह ब्राह्मण वर्ग की उपेक्षा न करते हुए किसी सशक्त ब्राह्मण उम्मीदवार को मैदान में उतारे.
ब्राह्मण समुदाय का दावा मजबूत: सागर ब्राह्मण और जैन बाहुल्य शहर है. आमतौर पर विधानसभा चुनाव (Sagar Assembly Elections) में इसी तबके के नेता को टिकट मिलता है. पिछले विधानसभा चुनावों के प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया पर नजर डालें तो कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने ब्राह्मण और जैन समुदाय को ही महत्त्व दिया था. बीजेपी ने पिछले 30 सालों में ज्यादा भरोसा जैन समुदाय पर जताया है. 1993 से हर विधानसभा चुनाव में भाजपा जैन प्रत्याशी को टिकट देती रही है. भाजपा का ये दांव सफल भी रहा है. 1993 से लेकर 2003 तक बीजेपी की सुधा जैन विधायक (Sagar BJP MLA Sudha Jain) रहीं और 2008 से 2018 तक बीजेपी के शैलेंद्र जैन (BJP MLA Shailendra Jain) विधायक चुने गए हैं.
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उपेक्षा के दाग को धोना चाहती है बीजेपी: कांग्रेस समय-समय पर कभी जैन तो कभी ब्राह्मण समुदाय को मौका देती रही है. बीजेपी पर सागर शहर में ब्राह्मण वर्ग की उपेक्षा का आरोप लगने लगा है और सागर महापौर चुनाव में अनारक्षित महिला सीट होने के बाद बीजेपी उपेक्षा के दाग को धोना चाहती है. कांग्रेस पहले ही जैन प्रत्याशी तय कर चुकी है. ऐसी स्थिति में बीजेपी जैन प्रत्याशी की जगह ब्राह्मण प्रत्याशी को तबज्जो देने के मूड में नजर आ रही है. तमाम समीकरणों पर गौर करने के बाद सागर में महापौर पद के लिए बीजेपी प्रत्याशी के तौर पर ब्राह्मण समुदाय का दावा मजबूत नजर आ रहा है.
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महापौर पद के लिए ओबीसी वर्ग की दावेदारी:बीजेपी टिकट तय करने में जितनी देरी कर रही है. उतनी ही दावेदारों की संख्या बढ़ती जा रही है. साथ ही टिकट तय करने का मामला भी उलझता जा रहा है. चुनाव घोषित होने के पहले ओबीसी आरक्षण को लेकर चली सियासत के बाद कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों ने ऐलान किया था कि, वह ओबीसी (OBC) वर्ग के प्रत्याशियों को अपने दल में आरक्षण के आधार पर टिकट देंगे. कांग्रेस ने 27% तो वहीं बीजेपी ने 35% ओबीसी को टिकट देने का दावा किया था. नगरीय निकाय चुनाव का बिगुल बजते ही दोनों दलों का दावा कमजोर पड़ने लगा. इस आधार पर बीजेपी (BJP) से पिछड़ा वर्ग के दावेदार सागर नगर निगम की महापौर सीट अनारक्षित महिला होने के बाद भी ओबीसी महिला को टिकट देने की मांग कर रहे हैं. हालांकि दोनों दल पिछड़ा वर्ग की सियासत को लेकर ऐसा कोई फैसला नहीं करना चाहते जिससे ओबीसी वर्ग नाराज हो जाए.
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भाजपा की दलील:पिछले तीन बार से सागर विधानसभा (Sagar Assembly) से (BJP) जीत हासिल करने वाले बीजेपी विधायक शैलेंद्र जैन का कहना है कि, ब्राह्मण समाज की लंबी प्रतीक्षा हो गई है. टिकट मांगने का हक सबको है. सामान्य वार्ड में 80% वार्ड ऐसे हैं, जहां ओबीसी वर्ग के प्रत्याशी टिकट की मांग कर रहे हैं. टिकट मांगने से तो मना नहीं किया जा सकता. कुल मिलाकर पार्टी नेतृत्व की जो गाइडलाइन होगी उसी पर टिकट तय होंगे.