सागर।हाल ही में राजधानी भोपाल के नजदीक बैरसिया की गौशाला में हुई गायों की मौत के बाद प्रदेश की तमाम सरकारी गौशालाओं की व्यवस्था पर सवाल खड़े हो रहे हैं. इन गौशालाओं की हकीकत जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम गौशाला पहुंची. हकीकत यह थी कि गौशालाओं में चारा और दूसरा जरूरी सामान उतना ही मिलता है जितना ऊंट के मुंह में जीरा. सरकारी अनुदान में होने वाली देरी और समाज की तरफ से किसी तरह के दान के अभाव में गौशालाओं के संचालन में स्व सहायता समूह को काफी परेशानी आती है. आलम यह है कि गौशाला का संचालन करने वाले स्व सहायता समूह अपनी निजी व्यवस्थाओं से गौ सेवा कर रहे हैं. जिसके बदले में उन्हें कुछ भी हासिल नहीं हो रहा है.
5 महीने से अनुदान का इंतजार
सागर विकासखंड की ग्राम पंचायत पड़रिया में स्व सहायता समूह द्वारा संचालित गौशाला में195 गाय हैं. गौशाला में गौ सेवा संवर्धन बोर्ड हर गाय के हिसाब से 20 रूपये हर दिन का अनुदान देता है. यह एक गाय के भोजन के हिसाब से जहां काफी कम हैं, वहीं यह सही समय पर नहीं मिलता है. मौजूदा स्थिति में देखें, तो जुलाई-अगस्त 2021 का अनुदान हाल ही में आया है, और अगस्त माह के बाद के अनुदान का अभी भी इंतजार है, जबकि गौशाला की स्थिति यह है कि 195 गायों के लिए 2 दिन में 7 क्विंटल भूसे की जरूरत होती है. जिसकी व्यवस्था करने में स्व सहायता समूह की महिलाओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है.
सरकारी गौशाला में दान में समाज की रुचि नहीं
आमतौर पर देखा गया है कि गौ सेवा के नाम पर समाजसेवी लोग काफी दान पुण्य करते हैं, लेकिन यह दान पुण्य निजी या धार्मिक ट्रस्ट की गौशालाओं में ज्यादा किया जाता है. जबकि सरकारी खर्च पर चलने वाली गौशालाओं में लोग दान नहीं करते हैं. पड़रिया ग्राम पंचायत की बात करें, तो पिछले साल गर्मी के मौसम में एक समाजसेवी ने 20 बोरा भूसा दान किया था. इसके अलावा अभी तक इस गौशाला के लिए किसी तरह का दान नहीं मिला है. अब इस सब की वजह से महिला स्व सहायता समूह को बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.