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Published : Apr 25, 2022, 7:57 PM IST

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ऐसी कठिन तपस्या! दोनों हाथ नहीं हैं लेकिन अपनी लिखावट से सबको हैरान कर देता है तपिस

सागर मे 12 साल का एक छात्र हाथों से लाचार है. लेकिन उसके हौसलों की उड़ान इस लाचारी के आगे नहीं आती. दिव्यांग होने के बावजूद तपिस श्री घोसी के अंदर लिखने-पढ़ने का जुनून देखते ही बनता है. अब वह लोगों के लिए मिसाल बना हुआ है. Sagar divyang tapis shree ghoshi inspiring story.

Sagar divyang tapis shree ghoshi inspiring story
ऐसी कठिन तपस्या! अपनी लिखावट से सबको हैरान कर देता है तपिस

सागर।अगर इरादे मजबूत हो तो कोई भी शारीरिक कमजोरी सपनों को पूरा करने में आड़े नहीं आती. रहली विकासखंड के छिरारी गांव के दिव्यांग बच्चे के मजबूत इरादों को देखकर सामान्य आदमी हैरत में रह जाता है. दोनों हाथों से दिव्यांग तपिस श्री घोसी (Sagar divyang tapis shree ghoshi inspiring story) के मन में पढ़ाई की इतनी ललक है कि सातवीं की परीक्षा मुंह से पेन चला कर दे रहा है. मुंह से कलम पकड़ कर वह फटाफट लिखता है. प्रबल इच्छाशक्ति के बल पर दिव्यांग छात्र ने साबित कर दिया है कि दिव्यांगता कोई अभिशाप नहीं है.

जन्म से दिव्यांग लेकिन पढ़ाई का जुनून हैरान करने वाला : किसान परिवार में जन्मे 12 वर्षीय तपिस श्री घोषी जैसे-जैसे बड़ा हुआ उसे पढ़ाई की ललक जागी. उसकी पढ़ाई के प्रति जुनून देखकर ना सिर्फ हर कोई हैरान हो जाता है. बल्कि दोनों हाथ ना होने के बावजूद मुंह में पेन फंसाकर (Student writes from mouth) लिखने के अंदाज को देखकर लोग दांतों तले उंगलियां दबा लेते हैं. तपिस फिलहाल सातवीं कक्षा की परीक्षा दे रहा है. तपिस गढ़ाकोटा के दिव्यांग छात्रावास में रहकर पढ़ाई कर रहा है. वहीं उसे शासन के नियमों के चलते रहली के छिरारी शासकीय स्कूल (Chirari Government School) में परीक्षा देने की व्यवस्था की गई है.

तपिस श्री घोसी छात्र, सागर

शिक्षक बनकर दिव्यांगों को पढ़ाना चाहता है तपिस :तपिस ने बताया कि उसका गांव सलैया बहुत छोटा है. जहां अच्छी शिक्षा की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है. इसलिए वह गढ़ाकोटा स्थित दिव्यांग छात्रावास (Disabled Hostel Gadhakota) में रहकर पढ़ाई करता है. उसने कहा कि मेरी पढ़ने की इच्छा को देखते हुए बचपन से ही शिक्षकों ने मुझे मुंह से लिखना सिखाया. उसका सपना शिक्षक बनने का हैं. ताकि वह अपने जैसे दिव्यांग छात्रों को पढ़ा सके. वहीं छिरारी स्कूल की शाला प्रभारी दुर्गा गोवा (Durga Gova) बताती कि तपेश जन्म से दिव्यांग है. दिव्यांग बच्चों को पास के स्कूल में परीक्षा देने का नियम है. इस कारण वह हमारे स्कूल में परीक्षा देने आया है. वह बच्चा काफी होनहार है. (Student writes by mouth)

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