सागर/भोपाल। मध्यप्रदेश में कोरोना की रफ्तार डरा रही है. कई शहरों में लॉकडाउन लगा हुआ है. कई शहरों में पॉजिटिव मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. अब जेलों में भी कोरोना का रिस्क बढ़ गया है. जेलों में क्षमता से अधिक कैदी रखे हुए हैं. सरकार ने पिछले साल कोरोना के कहर के चलते हजारों कैदियों को पैरोल पर भेज दिया था. जनवरी में पैरोल खत्म होने के बाद कैदी फिर जेल में वापस आ गए हैं. कैदियों के परिजन भी कोरोना के डर से फिर से कैदियों की पैरोल पर रिहाई की मांग कर रहे हैं. जेल प्रशासन का कहना है कि सरकार के निर्देश पर पैरोल दी गई थी. सरकार भविष्य में जैसे निर्देश देगी, वैसे काम किया जाएगा. कोरोना की सरकारी गाइडलाइन का पालन किया जा रहा है.
MP की जेलों में करीब 15 हजार कैदी क्षमता से ज्यादा
मध्यप्रदेश में कुल 131 जेल हैं. जिनमें 11 सेंट्रल जेल, 41 जिला जेल और 73 उपजेल समेत 6 खुली जेल हैं. प्रदेश की जेलों में कैदियों को रखने की क्षमता कुल 28 हजार 718 है, लेकिन स्थिति यह है कि इन जेलों में 44 हजार 603 कैदी हैं. इस तरह प्रदेश की जेलों में क्षमता से ज्यादा 15 हजार 885 कैदी बंद हैं. एमपी में कोई भी स्पेशल और महिला जेल नहीं है.
महिला कैदियों की संख्या 1758
मध्यप्रदेश की जेलों में महिला कैदियों की संख्या 1758 है. वहीं पुरूष कैदियों की संख्या 42 हजार 845 है. उम्र के हिसाब से देखा जाए तो जेलों में 18 से 30 साल की उम्र वाले 8047 कैदी हैं. इसी तरह प्रदेश की जेलों में 30 से 50 साल की आयु वाले 9355 कैदी सजा काट रहे हैं,जबकि 50 से ज्यादा की उम्र वाले भी 2851 कैदी प्रदेश की जेलों में बंद हैं.
सागर सेंट्रल जेल के हालात चिंताजनक
- केंद्रीय जेल की क्षमता 900 बंदियों की है. एक अप्रैल की स्थिति में सागर केंद्रीय जेल में लॉकअप की संख्या 1600 है.
- सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पिछले साल सागर सेंट्रल जेल के 350 कैदियों को पैरोल पर रिहा किया गया था.
- जनवरी 2021 में आपात पैरोल की अवधि खत्म हो जाने के कारण पैरोल पर गए सभी कैदी वापस आ चुके हैं. सेंट्रल जेल में क्षमता में 80 फीसदी ज्यादा कैदी हैं.
फरवरी में पैरोल से लौटी महिला कैदी की हुई थी मौत
सागर जिले की गढ़ाकोटा थाना क्षेत्र की रहने वाली 42 साल की महिला सागर सेंट्रल जेल में हत्या के आरोप में सजा काट रही थी. महिला को 2009 में सजा सुनाई गई थी. कोरोना काल में 300 दिन की पैरोल पर रिहा हुई थी. 31 जनवरी को पैरोल खत्म कर वो जेल में लौटी थी. उसे नियम अनुसार कोरोना टेस्ट के लिए बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज भेजा गया. कोरोना टेस्ट पॉजिटिव आने के बाद महिला को बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में ही एडमिट कराया गया था. 18 फरवरी को उसकी रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद उसे अस्पताल से डिस्चार्ज कर जेल भेज दिया गया . 19 फरवरी सुबह सात बजे अचानक उसे सांस लेने में तकलीफ हुई. जेल स्थित अस्पताल में इलाज कराने के बाद उसे दोबारा बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज भेजा गया. वहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर दी गई थी आपात पैरोल
मार्च 2020 में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े ने कोरोना संक्रमण के चलते देश की जेलों में क्षमता से अधिक कैदी होने के मामले में संज्ञान लिया था. तमाम राज्यों को एक हाई पावर कमेटी गठित कर जेलों में कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण के लिए नियम बनाने के निर्देश दिए थे. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर राज्य की जेलों से 8000 कैदियों को 10 महीने की आपात पैरोल दी गई. ये आपात पैरोल 31 जनवरी को खत्म हो गई. पैरोल समाप्त होने के बाद सभी कैदी जेलों में वापस आ गए.