मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ETV Bharat / city

जुनून: 37 दिन में 6 हजार किमी बाइक से किया सफर और दुनिया की सबसे ऊंची 'चिसुमले डेमचौक सड़क' पर पहुंच गया सागर का युवक

मध्य प्रदेश के सागर में रहने वाले युवा संकल्प ने छह हजार किलोमीटर का सफर तय करते हुए दुनिया की सबसे ऊंची सड़क 'चिसुमले डेमचौक सड़क' पर पहुंचने का अपना संकल्प पूरा किया है. हालांकि इस सफर में संकल्प को कई कठिनाईयों का सामना करना पड़ा लेकिन उनका कहना है कि दृढ़ निश्चय से कोई भी कठिनाई आसानी से पार की जा सकती है. संकल्प ने युवा पीढ़ी को संदेश दिया है कि उन्हें ऐसी जगहों पर जाकर प्राकृतिक नजारे, वहां के लोग और उनकी जीवनशैली को समझना चाहिए.

sankalp of sagar traveled sagar to laddakh
सड़क के बारे में जाना तो संकल्प ने लिया संकल्प

By

Published : Jul 19, 2022, 4:32 PM IST

सागर। अगर हौसले बुलंद हो तो दुनिया की कोई भी कठिनाई आसानी से पार की जा सकती है. सागर के बाहुबली कॉलोनी में रहने वाले संकल्प ने भी एक ऐसा संकल्प लिया और सागर से बाइक से सफर करते हुए लद्दाख स्थित दुनिया की सबसे ऊंची सड़क पर पहुंच गए. करीब 37 दिन में 6 हजार कि.मी से ज्यादा सफर करके संकल्प ने अपना संकल्प पूरा किया है. उन्होंने ना सिर्फ दुनिया की सबसे ऊंची सड़क पर बाइक चलाई है, बल्कि मौत की घाटी कही जाने वाली सड़क पर भी बाइक चलाई. अपने लक्ष्य को पूरा करने में संकल्प को कई तरह की परेशानियां जरूर आयी, लेकिन उन्होंने परेशानियों का डटकर सामना किया. संकल्प युवाओं से कहते हैं कि, जरूरी नहीं है कि मोटरसाइकिल से देश का सफर करें. लेकिन युवाओं को अपने देश को समझने और जानने के लिए देश की ऐसी जगहों का सफर जरूर करना चाहिए.

संकल्प को कई तरह की परेशानियों का करना पड़ा सामना

कहां स्थित है दुनिया की सबसे ऊंची सड़क: दुनिया की सबसे ऊंची सड़क हमारे देश भारत में ही स्थित है. यह सड़क 19024 फीट ऊंचाई पर स्थित है. इस सड़क का नाम चिसुमले डेमचौक सड़क है, जो लद्दाख के उमलिंग ला दर्रे में स्थित है. इस सड़क का नाम दुनिया की सबसे ऊंची सड़क के तौर पर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल है. कहा जाता है कि ये सड़क माउंट एवरेस्ट के बेस कैंप से भी ऊपर है. इस सड़क को दिसंबर 1921 में जनता की आवाजाही के लिए खोला गया, पहले सड़क पर जनता नहीं जा सकती थी.

उमलिंग ला दर्रे में स्थित है दुनिया की सबसे ऊंची सड़क

सड़क के बारे में जाना तो संकल्प ने लिया संकल्प: जब सागर के बाहुबली कॉलोनी में रहने वाले संकल्प बेलापुरकर को इंटरनेट के माध्यम से जानकारी हुई कि, ये सड़क आम जनता के लिए खुलने वाली है, तो उन्होंने तय कर लिया कि वह बाइक से इस सड़क का सफर जरूर करेंगे. 3 जून 2022 को संकल्प अपना संकल्प पूरा करने के लिए सागर से निकले और 20-21 जून को लद्दाख के उमलिंग ला दर्रे में चिसुमले डेमचौक सड़क पर पहुंच गए. इस सड़क तक पहुंचने के लिए उन्होंने मौत की घाटी कही जाने वाली सिंगपुला दर्रा सड़क को भी पार किया. जिसकी उन्होंने हेलमेट में कैमरा लगाकर रिकॉर्डिंग भी की है. कुल मिलाकर सागर से बाइक से चलकर और वापस आने तक संकल्प ने 6 हजार किमी का सफर तय किया है.

विमानों में तकनीकी खराबी को लेकर DGCA सख्त, स्पॉट चेकिंग के बाद दिया ये बड़ा निर्देश

दुनिया की सबसे ऊंची सड़क पर बाइक राइडिंग का अनुभव: महज 26 साल के संकल्प बेलापुरकर बताते हैं कि, जब इंटरनेट के माध्यम से मैंने इस सड़क के बारे में जाना. तो कोरोना महामारी के पहले ही तय कर लिया था कि, लद्दाख जाकर इस सड़क पर सफर जरूर करना है. पिछले साल दिसंबर में मुझे जानकारी मिली कि उमलिंग ला दर्रा में स्थित दुनिया की सबसे ऊंची सड़क आम लोगों के लिए खोली जा रही है और सड़क को देखने के लिए दुनिया भर के लोग आ रहे हैं. तो मुझे लगा कि हम अपने ही देश में इस सड़क का सफर क्यों नहीं कर सकते? मेरे मन में आया कि क्यों ना वहां जाकर अनुभव प्राप्त किया जाए कि, यहां क्या अच्छा है, क्या बुरा है और क्या परेशानियां हैं.

दुनिया की सबसे ऊंची सड़क पर बाइक राइडिंग का अनुभव

किस तरह की परेशानियों का करना पड़ा सामना: संकल्प बताते हैं कि, जैसे ही मैं लद्दाख पहुंचा, तो वहां ऑक्सीजन की भारी कमी के कारण बाइक चलाने में काफी परेशानी हुई. बाइक लोड नहीं लेती थी और ऐसा लगता था कि, जैसे इंजन में जान ही नहीं बची है. अगर किसी इंसान के लिए कोई बीमारी या शारीरिक परेशानी है, तो वहां उसे ऑक्सीजन की कमी के कारण दिक्कत हो सकती है. इंसान को ऐसे लगने लगता है कि जैसे उसे बहुत थकान हो रही हो और शरीर टूट रहा हो. इन परेशानियों से बचने के लिए थोड़ा-थोड़ा पानी पीते रहना चाहिए. ठंडा मौसम होने के बावजूद वहां प्यास नहीं लगती है. लेकिन शरीर को वातावरण के अनुरूप ढालने के लिए थोड़ा थोड़ा पानी पीना चाहिए. ऊंचाई पर जाते समय रुक रुक कर जाना चाहिए. कोशिश करना चाहिए कि शरीर पहले जलवायु के अनुकूल हो जाए, फिर सफर किया जाए.

संकल्प ने 37 दिन में 6 हजार किमी बाइक से किया सफर

क्या संदेश देना चाहते हैं संकल्प: संकल्प बेलापुरकर कहते हैं कि, मैंने पूरा सफर करीब 6 हजार किमी का बाइक से तय किया है. उमलिंग ला दर्रा पहुंचने के लिए सागर से करीब 2600 किमी तक सफर करना पड़ा. मैं युवा पीढ़ी से कहना चाहूंगा कि, जरूरी नहीं है कि वह मोटरसाइकिल से जाएं. वह वहां बस से जा सकते हैं, हालांकि वह लद्दाख तक ही पहुंच पाएंगे. लेकिन सबसे ऊंची सड़क पहुंचने में उन्हें कई साधन मिल जाएंगे. युवाओं को वहां जाकर प्राकृतिक नजारे, वहां के लोग और उनकी जीवनशैली को समझना चाहिए.

ABOUT THE AUTHOR

...view details