सागर। प्रदेशभर के जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर हैं, वहीं सागर के बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में भी सभी जूनियर डॉक्टर ने काम बंद कर हड़ताल शुरू कर दी है. अपनी 6 सूत्रीय मांगों को लेकर जूडा ने यह हड़ताल शुरू की है. एसोसिएशन ने सरकार को 30 तारीख तक का समय दिया था, जिसके बाद 31 मई से काम बंद कर हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी थी. सोमवार को प्रदेश सहित बीएमसी में भी सभी 22 जूनियर डॉक्टर्स हड़ताल पर चले गए हैं.
हड़ताल पर गए जूनियर डॉक्टर डॉक्टरों की हड़ताल ने बढ़ाई परेशानी
सागर में पहले से ही स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराई हुई है. कोरोना काल में जूनियर डॉक्टर्स ने कंधे से कंधा मिलाकर मोर्चा संभाला था, लेकिन अब अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं, ऐसे समय में जबकि सागर में कोरोना पॉजिटिविटी रेट 5 फीसदी से ज्यादा है और यहां लॉकडाउन में ढील देने की स्थिति असमंजस में है और अभी भी रोजाना 50 से ज्यादा मरीज संक्रमित मिल रहे हैं, ऐसे में जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल पर जाने से निश्चित तौर पर स्वास्थ्य व्यवस्था में खासा असर पड़ेगा. यह सभी रेजिडेंशियल जूनियर डॉक्टर 24 घंटे इमरजेंसी ड्यूटी के लिए अनुबंधित रहते हैं. ऐसे में इमरजेंसी व्यवस्थाएं भी काफी प्रभावित होंगी.
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ओपीडी में सीनियर डॉक्टर्स ने संभाला मोर्चा
बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में सोमवार को ओपीडी तो खुली रही और लोगों को परामर्श और उपचार भी मिला, लेकिन जूनियर डॉक्टर्स के हड़ताल पर जाने के बाद सीनियर डॉक्टर्स पर वर्क लोड बढ़ गया है, जबकि कोरोना ड्यूटी और फिर ओपीडी मैं ड्यूटी से काम पर प्रभाव तो पड़ेगा ही.
हड़ताल पर गए जूनियर डॉक्टर डीन ने कहा, व्यवस्थाओं पर नहीं पड़ा कोई असर
बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के डीन आर एस वर्मा ने जूडा डॉक्टर्स की हड़ताल से मेडिकल कॉलेज में स्वास्थ्य व्यवस्था पर किसी भी प्रकार के असर से इनकार किया है. उन्होंने कहा कि उनके पास पर्याप्त स्टाफ है, जिससे मेडिकल कॉलेज की स्वास्थ्य व्यवस्था पर कोई भी प्रभाव नहीं पड़ा है, हालांकि वह कैमरे पर कुछ भी बोलने से बचते नजर आए.
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डॉक्टरों का क्या है कहना
बीएमसी के जूनियर डॉक्टरों ने कहा कि जब पहले उन्होंने हड़ताल की थी तब सरकार ने उन्हें आश्वासन दिया था कि उनकी सभी मांगों को सरकार मानेगी, लेकिन इतना लंबा समय बीतने के बाद भी अब तक उनकी मांगों पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. डॉक्टर का कहना है कि ऐसे कठिन समय में वह खुद नहीं चाहते कि वे हड़ताल पर जाएं, लेकिन जब वायरस के इतने भयंकर संक्रमण काल में वे अपनी जान जोखिम में डालकर ड्यूटी कर रहे हैं तो उनकी इन जायज मांगों पर सरकार क्यों कोई कदम नहीं उठा रही.