सागर। बुंदेलखंड के प्रसिद्ध शिवमंदिर जागेश्वर धाम में सावन के महीने में भक्तों का तांता लगा हुआ है. दमोह जिले के बांदकपुर में भगवान जागेश्वर का मंदिर है, जहां पर स्वयंभू शिवलिंग स्थापित है. जिसके दर्शन करने बुंदेलखंड के ही नहीं, बल्कि पूरे भारत के श्रृद्धालु पहुंचते हैं. यहां सावन के माह में सोमवार को भक्तों की खासी भीड़ रहती है. बांदकपुर तीर्थ क्षेत्र जागेश्वरनाथ धाम में भगवान शिव का स्वयंभूलिंग है. इनके दर्शन करने से भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. श्री जागेश्वर नाथ धाम के बारे में कई किंवदंतियां है. ये भी कहा जाता है कि, 1971 में भारत पाकिस्तान युद्ध के समय भारत की जीत के लिए महारूद्र यज्ञ किया गया था. यज्ञ पूरा होने के पहले ही पाकिस्तान ने समर्पण कर दिया.
भगवान जागेश्वर ने दिए थे स्वयं दर्शन: बांदकपुर में स्थापित किए गए श्री जागेश्वर धाम को लेकर किंवदंती है कि, करीब 400 साल पहले दमोह में मराठा शासक दीवान बालाजी राव चांदोरकर का शासन था. वह एक बार दमोह से सैर के लिए निकले थे और रास्ते में एक जंगल में वटवृक्ष के पास एक कुंड था, जहां विश्राम के लिए रुक गए थे. कुछ ही देर में उनकी नींद लग गई थी, नींद लगने के बाद बालाजी राव के सपने में भगवान शंकर आए और कहा कि, यह मेरा स्थान है. यहां पर मुझे स्थापित करने के लिए मंदिर का निर्माण किया जाए. राजा सैर के बाद दमोह से लौट गए और उन्होंने दमोह के विद्वान पंडितों को बुलवाकर सपने के बारे में बताया. तब बांदकपुर में जंगल हुआ करता था, विद्वानों के परामर्श से राजा ने दमोह में मंदिर बनवाना तय किया और सपने में आए भगवान शंकर के बताए अनुसार बांदकपुर में उन्होंने खुदाई शुरु करवा दी. इसी बीच राजा को एक बार फिर स्वप्न आया और भगवान शिव ने कहा कि मैं अपना स्थान नहीं छोडूंगा. तब जाकर बांदकपुर में भगवान शिव के लिए मंदिर का निर्माण किया गया और उनकी स्थापना की गई.