मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ETV Bharat / city

Jageshwar Shiv Mandir: 1971 युद्ध में भारत की जीत के लिए किया गया था महारूद्र यज्ञ, पूर्णाहुति के पहले ही पाकिस्तान ने टेक दिए घुटने - India victory in 1971 Jageshwar Shiv Mandir

सागर का पड़ोसी जिला दमोह जहां बांदकपुर में स्थित बाबा जागेश्वर के शिव मंदिर के लिए मशहूर है,तो जिला मुख्यालय दमोह में स्थित जटाशंकर का मंदिर हमेशा आकर्षण का केंद्र रहता है. नोहटा स्थित भगवान नोहलेश्वर का मंदिर यहां के इतिहास और वैभव से रू-ब-रू कराता है. किंवदंतियों की मानें तो, भगवान शिव ने मराठा शासक दीवान बालाजी राव चांदोरकर के सपने में आकर अपना मंदिर स्थापित करने की बात कही थी. (Baba Jageshwar Shiv Mandir of Bandakpur Damoh)

Etv Bharat
Etv Bharat

By

Published : Aug 8, 2022, 8:27 PM IST

सागर। बुंदेलखंड के प्रसिद्ध शिवमंदिर जागेश्वर धाम में सावन के महीने में भक्तों का तांता लगा हुआ है. दमोह जिले के बांदकपुर में भगवान जागेश्वर का मंदिर है, जहां पर स्वयंभू शिवलिंग स्थापित है. जिसके दर्शन करने बुंदेलखंड के ही नहीं, बल्कि पूरे भारत के श्रृद्धालु पहुंचते हैं. यहां सावन के माह में सोमवार को भक्तों की खासी भीड़ रहती है. बांदकपुर तीर्थ क्षेत्र जागेश्वरनाथ धाम में भगवान शिव का स्वयंभूलिंग है. इनके दर्शन करने से भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. श्री जागेश्वर नाथ धाम के बारे में कई किंवदंतियां है. ये भी कहा जाता है कि, 1971 में भारत पाकिस्तान युद्ध के समय भारत की जीत के लिए महारूद्र यज्ञ किया गया था. यज्ञ पूरा होने के पहले ही पाकिस्तान ने समर्पण कर दिया.

भगवान जागेश्वर ने दिए थे स्वयं दर्शन: बांदकपुर में स्थापित किए गए श्री जागेश्वर धाम को लेकर किंवदंती है कि, करीब 400 साल पहले दमोह में मराठा शासक दीवान बालाजी राव चांदोरकर का शासन था. वह एक बार दमोह से सैर के लिए निकले थे और रास्ते में एक जंगल में वटवृक्ष के पास एक कुंड था, जहां विश्राम के लिए रुक गए थे. कुछ ही देर में उनकी नींद लग गई थी, नींद लगने के बाद बालाजी राव के सपने में भगवान शंकर आए और कहा कि, यह मेरा स्थान है. यहां पर मुझे स्थापित करने के लिए मंदिर का निर्माण किया जाए. राजा सैर के बाद दमोह से लौट गए और उन्होंने दमोह के विद्वान पंडितों को बुलवाकर सपने के बारे में बताया. तब बांदकपुर में जंगल हुआ करता था, विद्वानों के परामर्श से राजा ने दमोह में मंदिर बनवाना तय किया और सपने में आए भगवान शंकर के बताए अनुसार बांदकपुर में उन्होंने खुदाई शुरु करवा दी. इसी बीच राजा को एक बार फिर स्वप्न आया और भगवान शिव ने कहा कि मैं अपना स्थान नहीं छोडूंगा. तब जाकर बांदकपुर में भगवान शिव के लिए मंदिर का निर्माण किया गया और उनकी स्थापना की गई.

Tourism Spot in Bundelkhand of MP: पर्यटन के लिए क्यों करें एमपी के बुंदेलखंड का रुख, यहां पढ़िए जवाब

मराठा शासक ने तैयार कराया मंदिर: स्वयंभू शिवलिंग श्री जागेश्वरनाथ जी मंदिर दीवान बालाजी राव चांदोरकर ने सन् 1711 में बनवाया था. महादेव जी मंदिर से पूर्वोन्मुख 100 फुट की दूरी पर माता पार्वती जी की मनोहारी भव्य प्रतिमा एवं मंदिर है. 2.25 हेक्टेयर के मंदिर परिसर में यज्ञ मण्डप, अमृतकुण्ड, श्री दुर्गाजी मंदिर, श्री काल भैरवजी मंदिर, श्री रामजानकी-लक्ष्मण-हनुमान जी मंदिर, नर्मदाजी मंदिर, सत्यनारायण, लक्ष्मीजी एवं राधाकृष्ण मंदिर हैं. इसी परिसर में मंदिर कार्यालय, संस्कृत विद्यालय, मुण्डन स्थल एवं विवाह मण्डप है. जागृत शिवलिंग श्री जागेशवरनाथ जी का उल्लेख स्कंद पुराण के गौरी कुमारिका खण्ड में है.

1971 में भारत पाक युद्ध पर विशेष पूजन: सन 1971 मेंं जब पाकिस्तान ने भारत पर हमला किया था, तब स्थानीय लोगों ने जागृत शिवलिंग से विजय का संकल्प लेकर यज्ञ का आयोजन किया था. 6 दिसंबर 1971 को भगवान जागेश्वर नाथ का अभिषेक प्रारम्भ हुआ. 16 दिसंबर को रुद्र यज्ञ की पूर्ति और 17 दिसंबर को पूर्णाहुति हुई. भारत की जीत के लिए आयोजित महारुद्र यज्ञ के अभिषेक पूर्ति के और पुर्णाहुति से पहले पाकिस्तान ने हार मानकर आत्मसमर्पण की घोषणा कर दी थी. पाकिस्तान के समर्पण से जागेश्वरनाथ मंदिर भगवान महादेव के जयकारों से गूंज उठा और जागेश्वर धाम में पाकिस्तान पर भारत की जीत विशेष पूजा अर्चना के साथ की गई.

ABOUT THE AUTHOR

...view details